त्योहारों के सीजन को देखते हुए पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है, जिसके अनुसार लोगों को सतर्क रहने और सावधानी से आंख, नाक और कान खुले रखकर चलने की जरूरत है। क्योंकि पुलिस और NIA के अनुसार, देश में इस समय 70 से ज्यादा स्लीपर सैल एक्टिव हैं। टिफिन बम भी परेशानी का सबब बने हुए हैं। पंजाब के जालंधर जिले से पकड़े गए गुरमुख सिंह रोडे ने पुलिस पूछताछ में कुछ खुलासे किए हैं, जिसके बाद यह अलर्ट जारी किया है। पुलिस के पास लोगों को अलर्ट करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। दरअसल, गुरमुख सिंह ने बताया है कि उसने तीन टिफिन बम डिलीवर किए हैं। वहीं एक बार दोबारा पंजाब में स्लीपर सैल एक्टिव हुए हैं।
गौरतलब है कि गुरमुख सिंह रोडे को जालंधर से एनआईए की टीम ने पकड़ा था। उसके बाद से गुरमुख सिंह से लगातार एनआईए की टीम पूछताछ कर रही है, जिसकी रिपोर्ट एनआईए की टीम ने पंजाब पुलिस को भी भेजी है। इस रिपोर्ट में गुरमुख सिंह द्वारा किए गए खुलासों का जिक्र है, जिन्होंने पंजाब पुलिस और सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस समय पुलिस के सामने दो सबसे बड़े टास्क हैं। पहला वे तीन टिफिन बम, जिन्हें गुरमुख सिंह ने आगे डिलीवर किया था। दूसरा वे स्लीपर सैल, जिन्हें हाल ही में पाकिस्तान और विदेशों में बैठे आतंकियों ने पंजाब में एक्टिवेट किया है।
पुलिस ने जारी की एडवाइजरी
पुलिस सोशल मीडिया जरिए एडवाइजरी जारी कर रही है, जिसमें पुलिस ने लोगों से अपील की गई है कि अगर किसी को कोई भी संदिग्ध वस्तु दिखाई दे तो पुलिस को इसकी सूचना दें या तुरंत 112 और 181 पर डायल करें। लावारिस पड़ी चीजों जैसे बैग, टिफिन या पार्सल के पास भी न जाएं और उन्हें छूने का भी प्रयास न करें। बच्चों को भी अपने तरीके से ये एडवाइजरी समझाएं, ताकि अनहोनी से बचा जा सके।
तीन टिफिन बम, सबसे बड़ी चिंता
गुरमुख सिंह ने माना है कि उसने तीन टिफिन बम डिलीवर किए थे। जिसमें से दो टिफिन बम सुभानपुर के पास गांव हंबोवाल के अंडरपास के नजदीक और तीसरा मोगा में छोड़ा था। अब यह तीन बम कहां प्रयोग हो सकते हैं, इसकी भनक किसी को नहीं है। सोमवार से त्योहारों का सीजन शुरू हो रहा है। जन्माष्टमी के बाद नवरात्रि, दशहरा और फिर दीवाली है, जिस वजह से िचंता ज्यादा बढ़ गई है।
स्लीपर सैल, दूसरी सबसे बड़ी चिंता
पुलिस के लिए दूसरी बड़ी चिंता स्लीपर सैल हैं। गुरमुख सिंह के पकड़े जाने के बाद भी पुलिस इसे बड़ी सफलता नहीं मना रही। क्योंकि उसे अपने और ताया लखबीर सिंह रोडे के अलावा किसी और के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लखबीर सिंह के कहने पर गुरमुख सिंह खेप उठाता था और फिर उसी के कहने पर डिलीवर करने जाता था। उस तक खेप किसने पहुंचाई और उसने आगे किसके पास खेप भेजी, इसकी जानकारी उसे भी नहीं है। अमृतसर से पकड़े गए दो आतंकी शम्मी और अमृतपाल सिंह भी एक तरह के स्लीपर सैल ही हैं। उन्हें सिर्फ हुकम ही आता था। इसके अलावा उन्हें किसी की कोई जानकारी नहीं है।
पिछले तीन महीनों में एक्टिव हुए सिम कार्ड खंगाल रही पुलिस
पुलिस को सूचना मिली है कि इस समय पंजाब में 70 के करीब स्लीपर सैल एक्टिव हैं। लेकिन असलियत में इनकी गिनती किसी को भी नहीं पता। अब इन स्लीपर सैल तक पहुंचने के लिए पुलिस मोबाइल सिम कार्ड का सहारा ले रही है। पुलिस तीन महीनों में एक्टिव हुए सिम कार्ड का रिकार्ड खंगाल रही है। इसमें भी वह उन सिम कार्ड व नंबरों को देख रही है, जो बीच-बीच में एक्टिवेट होते हैं और सीमित समय के बाद दोबारा बंद हो जाते हैं।
व्हाट्सऐप फिर बना चुनौती
पुलिस के लिए स्लीपर सैल की गुत्थी सुलझाने में व्हाट्सऐप भी एक बड़ी चुनौती बन रहा है। क्योंकि व्हाट्सऐप कॉल को पुलिस ट्रेस नहीं कर पाती, जिस कारण अधिकतर स्लीपर सैल व्हाट्सऐप कॉल का ही प्रयोग करते हैं। इतना ही नहीं, हर स्लीपर सैल को हिदायत है कि वे कॉल करने के बाद डिटेल को डिलीट कर दें, ताकि पकड़े जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली ही रहें।
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