डीएवी कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा "नई शिक्षा नीति : हिंदी और भारतीय भाषाएं-संरक्षण और संवर्धन’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के सौजन्य से किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी ने नई शिक्षा नीति को समाज के नव निर्माण के लिए एक वरदान माना। डॉ. जोशी ने कहा कि शिक्षा में स्थानीय भाषा को प्राथमिकता से बालमन को जोड़ने के प्रयास नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बेहद खास बनाते हैं।
भाषाई विवाद को पीछे छोड़ते हुए नई नीति किसी एक भाषा पर जोर देने के बजाय देश में त्रि-भाषा सूत्र लागू करने और कम से कम 2 भारतीय भाषाओं को पढ़ाये जाने की बात करती है। नई शिक्षा नीति के अनुसार कम से कम 8वीं तक स्थानीय भाषा अथवा मातृभाषा में बच्चों को पढ़ाया जाएंगा। यह एक बेहद जरुरी कदम है। केंद्रीय हिंदी संस्थान की निर्देशक डॉ. बीना शर्मा ने स्थानीय और मातृ भाषाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी भाषा से इतिहास जुड़ा है और संस्कृति भी। ऐसे में अपनी भाषा बोलने में हिचकिचाहट क्यों और शर्म कैसी ? हमे अपनी स्थानीय बोली से प्रेम और लगाव होना चाहिए। इस दौरान हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी का पंजाबी हिंदी शब्दकोष का लोकार्पण भी किया गया। डॉ. बेदी ने कहा कि सभी भाषाओं के विकास के लिए हिंदी का विकास आवश्यक है। अगर स्थानीय भाषाएं और बोलियां विकसित नही हो पाएगी तो हिंदी भी प्रफुल्लित नही हो पाएगी। प्रिंसिपल डॉ. अमरदीप गुप्ता ने कहा कि नई शिक्षा नीति एक सकरात्मक बदलाव का संकेत दे रही है। इस मौके पर डॉ. पांडे शशिभूषण शीतांशू, डॉ. विनोद तनेजा, डॉ. राकेश प्रेम, डॉ. किरण खन्ना आदि मौजूद थे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.