खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे का प्रमुख अमृतपाल सिंह पंजाब पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। वह 18 मार्च को भागा था और अभी तक फरार चल रहा है। इन 6 दिन में वह मर्सिडीज गाड़ी से बाइक, जुगाड़ के रेहड़े, ऑटो और फिर बस में भागा। जिनकी सीसीटीवी भी सामने आई हैं।
6 दिन में वह दो दिन 19-20 मार्च को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में रुका, लेकिन उसके बाद उत्तराखंड गया या यूपी, इसकी खोज में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच अमृतपाल पंजाब से बाहर कैसे चला गया, इस पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट भी सवाल उठा चुका है।
दरअसल, वारिस पंजाब दे के लीगल एडवाइजर इमान सिंह खारा की शिकायत पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को हैबियस कॉरपस के तहत नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर अमृतपाल के भागने को पंजाब पुलिस व इंटेलिजेंस की लापरवाही बताया।
अब जानें अमृतपाल से पंजाब भागने की पूरी कहानी…
मोगा के लिए घर से रवाना हुआ था अमृतपाल
18 मार्च को अमृतपाल सिंह अमृतसर के गांव जल्लूपुर खेड़ा से ही मोगा के लिए रवाना हुआ था। उसकी तरफ से मोगा में अमृत संचार करवाया जाना था। इस बीच पुलिस ने पकड़ने के लिए घेराबंदी शुरू कर दी। पुलिस ने हर जगह नाके लगाए हुए थे। इसी दौरान मोगा से पहले लगाए गए एक नाके पर पुलिस व सुरक्षाकर्मी देख अमृतपाल सिंह ने अपनी गाड़ी घुमा ली।
पुलिस को अनुमान था कि अमृपताल सरेंडर कर देगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पुलिस की 50 से अधिक गाड़ियों ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।
शाहकोट में चंद सेकेंड पहले दिया चकमा
पुलिस अमृतपाल का पीछा करते हुए शाहकोट पहुंची। उसकी गाड़ियों को घेरा गया। लेकिन चंद सेकेंड पहले ही अमृतपाल अपनी मर्सिडीज से उतरा और गली में घुस गया। इसके बाद पुलिस ने उसकी दो गाड़ियों और सात साथियों को पकड़ने में सफलता हासिल की। जबकि अमृपताल का चाचा व ड्राइवर कार भगाने में कामयाब रहे। इसके बाद वह इसुजु गाड़ी में भागता नजर आया।
शाहकोट से पपलप्रीत की कार में पहुंचा नंबल अंबिया
शाहकोट से अमृतपाल अपने मीडिया एडवाइजर पपलप्रीत की ब्रेजा कार से सीधा नंगल अंबिया गांव पहुंचा। जहां उसने पहले नंगल अंबिया गांव के गुरुघर में पाठी रणजीत सिंह के परिवार को गन पॉइंट पर बंदी बनाया। यहीं अमृतपाल ने अपना हुलिया बदला, खाना खाया और फिर स्मारक के पास से मोटरसाइकिल पर आगे के लिए रवाना हुआ।
उद्दोवाल में जुगाड़ू ठेले पर सवार हुआ अमृतपाल
इसके बाद वह जुगाड़ू के ठेले में नजर में आया। ठेले के ड्राइवर लखवीर सिंह ने बताया कि अमृतपाल सिंह और पपलप्रीत सिंह को उसने नहीं पहचाना, वह मोबाइल का अधिक प्रयोग नहीं करता। जब वह अपने गांव उद्दोवाल से बाहर निकल रहा था तो अमृतपाल व पपलप्रीत सिंह दोनों मोटरसाइकिल को धक्का लगा रहे थे। मोटरसाइकिल का पिछला टायर पंक्चर हो चुका था।
उन्होंने 100 रुपए देने और मोटरसाइकिल को पंक्चर शॉप तक ले जाने की बात कही। वह मैहतपुर की तरफ जा रहे थे। मैंने मोटरसाइकिल अपलोड किया और मैहतपुर पर उन्हें छोड़ दिया। मैहतपुर से पहले ही एक पंक्चर की दुकान पर दोनों को उतारा और 100 रुपए लेकर वहां से चला गया।
दारापुर में लावारिस मिला मोटरसाइकिल
पुलिस को दारापुलस के पास नहर के किनारे अमृतपाल सिंह का लावारिस मोटरसाइकिल मिल गया। दारापुर से अमृतपाल सीधा ही लुधियाना से पहले बने हार्डिज वर्ल्ड के पास सपोट हुआ। यहां उसने एक ऑटो पकड़ा, जो उसे लुधियाला के जालंधर बाइपास चौक तक ले आया। यहां से शेरोपुर से अमृतपाल ने कुरुक्षेत्र के लिए बस पकड़ी और हरियाणा रवाना हो गया।
दो दिन हरियाणा रुका अमृतपाल
मिली जानकारी के अनुसार अमृतपाल सिंह अपने साथी पपलप्रीत सिंह के साथ कुरुक्षेत्र पहुंचा। अमृतपाल सिंह वहां पपलप्रीत की ही जानकार बलजीत कौर के घर रुका। पपलप्रीत कौर बलजीत कौर को दो साल से जानता था। पपलप्रीत की इंस्टाग्राम पोस्टों से वे बहुत प्रभावित थी। पपलप्रीत उसके पास पहले भी दो-चार बार आ चुका था।
यहीं बलजीत कौर के भाई ने अमृतपाल को देखा और पहचान लिया। सूत्रों के अनुसार बलजीत कौर के भाई ने ही पुलिस को अमृतपाल के यहां रुकने की सूचना दी थी, हालांकि पुलिस इसकी अभी पुष्टि नहीं कर रही। वहीं दूसरी तरफ अमृतपाल की तलाश को लेकर उत्तराखंड और नेपाल बॉर्डर पर सख्ती कर दी गई है। अनुमान है कि अमृतपाल सिंह नेपाल बॉर्डर क्रॉस करके भागने का प्रयास कर सकता है।
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