अकाल तख्त ने अकाली दल की हार पर जताई चिंता:जत्थेदार बोले- देश और सिख समाज के लिए घातक; नेताओं की शब्दावली पर भी उठाए सवाल

अमृतसरएक वर्ष पहले

पंजाब विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल को मिली हार पर श्रीअकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने चिंता जताई है। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इसे देश और सिख समाज के लिए घातक बताया है। साथ ही सभी संगठनों को श्रीअकाल तख्त साहिब की अगुवाई में इकट्‌ठे होकर इस पर विचार करने की सलाह दी। उन्होंने नानकशाही कैलेंडर की रिलीज के बाद यह बात कही।

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि शिरोमणि अकाली दल का इस तरह से हारना चिंतित करने वाला है। इस पर विचार करना चाहिए। अकाली दल ने देश को अजाद कराने में अपना योगदान दिया है। समूचे अकाली दल को आज इस पर विचार करने की जरूरत है। उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया में इकट्‌ठे होकर इस पर मंथन करना चाहिए।

जत्थेदार ने बताया कि अकाली दल का जन्म सत्ता के लिए नहीं, खालसे की चढ़दी कला के लिए हुआ था। अकाली दल एक सोच है, अगर सोच बरकरार है तो अकाली दल भी खड़ा है। उन्होंने इस सोच को दोबारा उभारने की जरूरत पर जोर दिया।

सिख समुदाय में बढ़ रही है नफरत

उन्होंने बताया की उनके पास भारी तादाद में फोन और ई-मेल आ रहे हैं जिनमें लोग शिरोमणि अकाली दल की हार पर चिंता जािहर कर रहे हैं। उन्होंने सिख समुदाय में आ रहे बदलाव पर भी चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय में जात-पात, नफरत और बदतमीजी जैसे विकार पैदा हो रहे हैं। इतना ही नहीं, पंजाब में राजनेताओं की बोलबाणी और शब्दावली बहुत ही निचले स्तर की हो गई है। इसे ठीक करने के लिए अकाली दल को प्रयत्नशील होना चाहिए।

नानकशाही कैलेंडर जारी कर श्रीअकाल तख्त के जत्थेदार।
नानकशाही कैलेंडर जारी कर श्रीअकाल तख्त के जत्थेदार।

अहंकार त्याग स्रब, संतोष, संयम व प्यार अपनाओ

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल का जन्म 14 दिसंबर 1920 को श्रीअकाल तख्त साहिब के आदेश पर हुआ था। इसलिए सिख संगत अकाली दल को मजबूत करने को कह रही है। उन्होंने अपील की कि सभी को अपना अहंकार त्याग कर, सब्र, संयम, संतोष और प्यार को अपनाना चाहिए।

नानकशाही कैलेंडर 554 रिलीज किया

शनिवार को श्रीअकाल तख्त साहिब की ओर से नानक शाही कैलेंडर 554 रिलीज किया गया। 1 चैत्र को नया साल शुरू हो रहा है, इसके लिए उन्होंने संगत को बधाई दी। जत्थेदार ने बताया की कैलेंडर में इस बार साका पंजा साहिब के मुख्य दिन को शामिल किया गया है। दूसरा, श्री गुरु गोबिंद सिंह का विवाह पर्व गुरु का लाहौर को भी शामिल किया है। उन्होंने बताया की पंजा साहिब में शहीद हुए सिंह साहिबान की याद में स्मारक बनाने के लिए उन्होंने पाकिस्तान सरकार से बात की है।