भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलिंपिक में आखिरकार 41 साल बाद मेडल अपने नाम कर ही लिया। टोक्यो में वीरवार को ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली टीम इंडिया के खिलाड़ियों के परिवार इस मेडल को गोल्ड से भी ज्यादा बड़ा मानते हैं। वीरवार सुबह मैच के शुरू में बेशक जर्मनी ने बढ़त ले ली थी मगर उसके बाद भारतीय लड़कों ने ऐसी वापसी की कि जर्मन टीम संभल ही नहीं पाई। टीम इंडिया में अमृतसर के हरमनप्रीत सिंह और दिलप्रीत सिंह भी शामिल हैं और मेडल जीतने के बाद से दोनों के परिवारों में जश्न का माहौल है। परिवार के लोग, रिश्तेदार, जान-पहचान वाले और पड़ोसी एक-दूसरे को मिठाइयां बांट रहे हैं और ढोल की थाप पर खुशियां मना रहे हैं।
हरमनप्रीत की मां ने कहा-बेटे की शादी जैसी खुशी महसूस हो रही
वीरवार सुबह मैच शुरू होने से पहले ही टीम इंडिया के हरफनमौला खिलाड़ी हरमनप्रीत के घर उनके रिश्तेदार और आसपास के लोग इकठ्ठा हो गए थे। सब लोगों ने साथ बैठकर मैच देखा और जैसे ही हरमनप्रीत ने जर्मनी के खिलाफ मैच में एक गोल कर भारत को बढ़त दिलाई, सब लोग खुशी से झूम उठे। मैच के बाद हरमन की मां राजविंदर कौर ने कहा कि आज उन्हें इतनी खुशी हो रही है, जितनी एक मां को अपने बेटे की शादी में होती है। मेडल लाकर हरमन ने देश का नाम ऊंचा कर दिया, मेरा नाम ऊंचा कर दिया। परिवार को उस पर बहुत गर्व है।
हरमनप्रीत के पिता सर्बजीत सिंह खुद कबड्डी प्लेयर रह चुके हैं। मैच के बाद उन्होंने कहा कि खेल में एक मेडल की कीमत प्लयेर ही समझ सकता है और यह तो ओलिंपिक मेडल है। कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि जीत के बाद मैदान में पूरी टीम का खुशी से क्या हाल हो रहा होगा।
मैच में शेरों की तरह खेले भारतीय लड़के
उधर दिलप्रीत सिंह के पिता बलविंदर सिंह ने कहा कि टीम मैच में पूरी जान लगाकर खेली। खिलाड़ियों ने गलतियां नहीं की और जर्मनी को बढ़त मिलने के बाद भी धैर्य नहीं खोया। इसी का नतीजा मैच में मिली जीत और ब्रॉन्ज मेडल है। बलविंदर सिंह ने माना कि जर्मनी के तीन गोल करने के बाद एकबारगी टेंशन का माहौल बन गया था और मैच हाथ से निकलता दिख रहा था मगर उसके बाद हमारी टीम ने जो वापसी की, वो तारीफ के काबिल है। मैच में पूरी टीम शेरों की तरह खेली। टीम का हर अटैक शेर की मानिंद था जिसके आगे जर्मनी की टीम पस्त हो गई।
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