पंजाब से ताल्लुक रखने वाले खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के कारण उसकी संस्था ‘वारिस पंजाब दे’ सुर्खियों में है। इस संगठन की बात करें तो किसान आंदोलन और लाल किले पर खालसा झंडा फहराना सबसे पहले जेहन में आता है। दिल्ली में लाल किला हिंसा के आरोपी रहे पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने इस संस्था को बनाया था।
लाल किले में हुई हिंसा के बाद दीप सिद्धू ने सितंबर-2021 को ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन बनाने का ऐलान किया था। फरवरी-2022 में हरियाणा में हुए रोड एक्सीडेंट के दौरान अचानक दीप सिद्धू की मौत हो जाने से उसके समर्थक खुद को अकेला महसूस करने लगे। इन्हीं हालात का फायदा अमृतपाल ने उठाया। खालिस्तान समर्थकों के बीच अमृतपाल के मशहूर होने की एक बड़ी वजह यह थी कि उसने अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब को बेस बनाया।
‘वारिस पंजाब दे' का एजेंडा
वारिस पंजाब दे संगठन को जानने के लिए सबसे पहले 29 सितंबर 2021 को दीप सिद्धू के कहे शब्दों को याद करने की जरूरत है। दीप सिद्धू ने उस दिन चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार की सभी शक्तियों को केन्द्रीयकृत करके राज्यों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। इस नीति से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब को हो रहा है।
दीप सिद्धू ने कहा कि केंद्र द्वारा पंजाब के साथ किए गए विश्वासघात की सूची बहुत लंबी है और अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसलिए उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक राज्यों को स्वायत्तता और मौलिक अधिकार नहीं मिल जाते।
दरअसल ‘वारिस पंजाब दे' पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई का दावा करता है। दीप सिद्धू ने इस संगठन का मकसद ही पंजाब के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाना बताया था। दीप ने कहा था कि उनका संगठन किसी राजनीतिक एजेंडे पर नहीं चलेगा मगर राजनीति से इसके संबंध और खालिस्तान की मांग करने वाले लोग इससे शुरू से जुड़े रहे। संगरूर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीतने वाले सिमरनजीत सिंह मान इस संगठन की हिमायत करते रहे हैं। सिमरनजीत हमेशा से खालिस्तान के लिए आवाज उठाते रहे हैं।
फरवरी 2022 में दीप सिद्धू के निधन से बदली चीजें
फरवरी-2022 में दीप सिद्धू की कार का एक्सीडेंट हो गया जिसमें उनकी मौत हो गई। उसके बाद ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था में मुखिया का पद खाली हो गया। दीप सिद्धू की अचानक हुई मौत से सबकुछ बदलता चला गया और उनके समर्थक निराश महसूस करने लगे। 2022 में ही पंजाब लौटे अमृतपाल ने इसका फायदा उठाते हुए ‘वारिस पंजाब दे' वेबसाइट बनाकर लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वह खुद को ‘वारिस पंजाब दे' के नए प्रमुख के तौर पर प्रोजेक्ट करने लगा।
दीप सिद्धू सिर्फ पंजाब की बात करते थे। अमृतपाल ने भी रास्ता तो वही चुना मगर अपने शब्द दीप सिद्धू से ज्यादा तीखे रखे। कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के कारण युवा भी साथ जुड़ते गए। सितंबर-2022 में अचानक ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया पद के लिए अमृतपाल का नाम उछलने लगा।
लाइमलाइट में आ गया ‘वारिस पंजाब दे’
दीप सिद्धू के निधन तक ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन अधिक पॉपुलर नहीं था लेकिन अमृतपाल के आने के बाद यह अचानक लाइमलाइट में आ गया। खालिस्तान की हिमायत करने वालों के बीच अमृतपाल के मशहूर होने की बड़ी वजह यह भी रही कि उसने अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब को बेस बनाया। इससे पहले तक खालिस्तान मूवमेंट को प्रमोट करने वाले तमाम लोग दूसरे देशों में रह रहे थे जिसके चलते यहां के लोग उनसे ज्यादा कनेक्ट नहीं करते थे। पंजाब में रहकर खालिस्तान की हिमायत करने से अमृतपाल की पॉपुलेरिटी तेजी से बढ़ी।
दीप सिद्धू के परिवार ने किया विरोध
अमृतपाल का नाम ‘वारिस पंजाब दे’ के नए मुखिया के तौर पर सामने आते ही विवाद भी शुरू हो गए। खुद दीप सिद्धू के परिवार के सदस्यों ने इस पर सवाल उठाए। दीप सिद्धू का परिवार बार-बार कहता रहा है कि अमृतपाल का चयन गलत तरीके से हुआ। हालांकि अमृतपाल इसका विरोध करता रहा है। अमृतपाल का दावा है कि दीप सिद्धू के परिवार के सदस्यों की रजामंदी के बाद ही वह इस पद पर बैठने के लिए राजी हुआ।
भिंडरांवाला के गांव में ताजपोशी
29 सितंबर 2022 को ‘वारिस पंजाब दे' संगठन की पहली वर्षगांठ पर मोगा जिले के रोडे गांव में एक बड़ा कार्यक्रम किया गया। उसी प्रोग्राम में अमृतपाल की ‘वारिस पंजाब दे’ के नए प्रमुख के रूप में ताजपोशी की गई। माना जाता है कि इस प्रोग्राम के लिए रोडे गांव का चुनाव बहुत सोच-समझकर किया गया क्योंकि वह जरनैल सिंह भिंडरांवाला का गांव है। अमृतपाल की ताजपोशी से जुड़े प्रोग्राम में सिख नेताओं के साथ-साथ रेडिकल सोच वाले कई नेता भी पहुंचे।
भिंडरांवाला जैसा बाणा, देश विरोधी एजेंडा
अमृतपाल खुद को जरनैल सिंह भिंडरांवाला से प्रभावित बताता है। उसने भिंडरांवाला की ही तरह युवाओं को अपने साथ जोड़ना और संगठन के एरिया का विस्तार करना शुरू कर दिया। वह भिंडरांवाला की तरह ही कपड़े पहनता और उसी अंदाज में फोटो खिंचवाता था। अमृतपाल भिंडरांवाला की तरह ठीक उसी स्टाइल में नीली गोल भारी पगड़ी बांधता है और अपने सफेद कपड़ों में छोटी कृपाण रखता है। इसी कारण उसे जरनैल सिंह भिंडरांवाला-2.0 तक कहा जाने लगा।
भिंडरांवाला ने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाई थी। अमृतपाल के भाषण भीड़ को उकसाने वाले रहते जिससे वह कट्टरपंथी सिख युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गया। सिखों और दूसरे समुदायों को बांटने के मकसद से धीरे-धीरे उसने यह बात फैलानी शुरू कर दी कि सिख धर्म खतरे में है और सिख गुलाम हैं।
मोदी-शाह को दे चुका चुनौती
अमृतपाल खालिस्तान बनाने की अपनी मांग को सही ठहराते हुए तर्क देता रहा है कि अगर कट्टरपंथी हिंदुओं की हिंदू राष्ट्र की मांग जायज है तो सिख राष्ट्र की मांग में क्या गलत है? उसने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई बार बेअंत सिंह की हत्या का हवाला भी दिया। उसने यहां तक कहा कि खालिस्तान का विरोध करने की कीमत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुकानी पड़ी। PM नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पंजाब के सीएम भगवंत मान भी उसे खालिस्तान की मांग करने से रोक नहीं सकते।
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह कर चुके विरोध
पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1 सितंबर 2022 को एक सभा के दौरान अमृतपाल सिंह पर सवाल उठाए थे। कैप्टन ने कहा कि अमृतपाल दुबई से आया है और उसका पूरा परिवार दुबई में है। ऐसे में उसे भारत किसने भेजा? इसके बारे में सभी जानना चाहते हैं। कैप्टन ने कहा था कि इसका पता लगाना पंजाब की AAP सरकार की जिम्मेदारी है।
कैप्टन ने दावा किया था कि यह सब पड़ोसी देश पाकिस्तान करवा रहा है।
ईसाई धर्म और दूसरे राज्यों के मजदूरों के खिलाफ
पंजाब के तरनतारन में चर्च के अंदर बेअदबी हुई। अमृतसर के जंडियाला गुरु में निहंगों और ईसाई भाईचारे के लोगों के बीच विवाद हुआ तो अमृतपाल ने ईसाई धर्म के खिलाफ कई टिप्पणियां की। इसके बाद अमृतपाल ने पंजाब में काम कर रहे दूसरे राज्यों के मजदूरों को भी वापस भेजने की बात कही।
हेट स्पीच में अमृतपाल सिंह ने कभी अपने आप को भारतीय नहीं कहा और इंडियन पासपोर्ट को सिर्फ ट्रेवल के लिए जरूरी कागजात भर बताया।
15 फरवरी को अजनाला में पहला केस, साथी गिरफ्तार
पंजाब के रोपड़ जिले के तहत आते चमकौर साहिब के रहने वाले बरिंदर सिंह की शिकायत पर 15 फरवरी को अमृतसर जिले के अजनाला थाने में अमृतपाल सिंह, उसके 5 साथियों और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बरिंदर सिंह के अनुसार, अमृतपाल और उसके साथियों ने उससे मारपीट की।
इस FIR के दो दिन बाद, 18 मार्च को अजनाला पुलिस ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को गिरफ्तार कर लिया। लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान गुरदासपुर जिले के तिबड़ी एरिया का रहने वाला था।
गुरु ग्रंथ साहिब लेकर पहुंचा थाना घेरने
अपने साथी तूफान की गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल ने लगातार केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ टिप्पणियां कीं। उसने बार-बार पुलिस को चेतावनियां दीं। अपने साथी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान की गिरफ्तारी के पांचवें दिन, 22 फरवरी की शाम अमृतपाल ने अचानक ऐलान किया कि 23 फरवरी को अजनाला थाने का घेराव किया जाएगा।
23 फरवरी की सुबह से अमृतपाल सिंह के समर्थक अजनाला थाने के बाहर पहुंचना शुरू हो गए। सुबह करीब 11 बजे अमृतपाल सिंह अपने समर्थकों के साथ अजनाला पहुंच गया। उनके काफिले के आगे पालकी साहिब चल रही थी जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया था। पालकी साहिब को देखकर अजनाला थाने के बाहर तैनात पुलिसबल पीछे हट गया। इसी दौरान अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिसवालों पर हमला करते हुए थाने पर कब्जा कर लिया।
हालांकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब को पुलिस थाने लेकर जाने की वजह से अमृतपाल सिख समाज के निशाने पर भी आ गया। सिखों की सर्वोच्च संस्था माने जाने वाले अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी उसकी हरकत को गलत बताया। पंजाब के तमाम राजनीतिक दलों ने अमृतपाल को खरी-खोटी सुनाई।
अजनाला हिंसा के बाद हौसले बढ़े
अजनाला हिंसा के बाद अमृतपाल समर्थकों के हौसले बुलंद हो गए। खुद अमृतपाल ने खुले तौर पर पुलिस को चुनौतियां देना शुरू कर दिया। उसके समर्थकों ने अजनाला हिंसा को लेकर केस दर्ज किए जाने की सूरत में दोबारा थाने को घेरने तक की धमकी दे डाली।
इसी बीच पुलिस ने अमृतपाल के समर्थकों के हथियारों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दिया। इससे अमृतपाल सिंह फिर भड़क गया।
सुधीर सुरी हत्याकांड में नाम आया
अमृतपाल का नाम पिछले साल पंजाब के शिवसेना नेता सुधीर सूरी हत्याकांड में भी आया था। सुधीर सूरी के परिवार ने हत्याकांड में अमृतपाल सिंह का नाम भी शामिल करने की मांग की थी। उसके बाद पुलिस ने अमृतपाल को मोगा के गांव सिंगावाला में नजरबंद कर दिया था। अमृतपाल वहां से जालंधर के नगर कीर्तन में शामिल होने के लिए रवाना होने वाला था मगर उससे पहले ही पुलिस ने गुरुद्वारे के पास उसे नजरबंद कर दिया।
10 फरवरी को इंग्लैंड की लड़की से शादी
अमृतपाल ने इसी साल 10 फरवरी को अपने पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा में एक साधारण प्रोग्राम में इंग्लैंड की रहने वाली NRI लड़की किरणदीप कौर के साथ शादी की। अमृतसर में बाबा बकाला के एक गुरुद्वारे में कराए गए ‘आनंद कारज' में दोनों पक्षों के परिवार के सदस्य शामिल हुए थे। किरणदीप का परिवार मूलत: जालंधर जिले के कुलारां गांव का रहने वाला है और कुछ समय पहले इंग्लैंड में सैटल हो चुका है।
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