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कृषि कानून के खिलाफ जारी किसान आंदोलन भले ही 26 जनवरी को विवादित हो गया था और एेसा लग रहा था कि अब यह शांत हो जाएगा, लेकिन उस विवाद ने इसे और बल दे दिया है। अब केंद्र सरकार के खिलाफ जहां किसानों का विरोध बढ़ता जा रहा है, वहीं अब इसके झंडे तैयार करने की कमान महिलाओं ने संभाल ली है। ये महिलाएं 5 से 7 घंटे घरों में मशीनों पर बैठकर झंडे तैयार कर रही हैं और फिर दिल्ली तक फ्री पहुंचा रही ही। अमृतसर के एक ऐसे ही परिवार द्वारा यह पहल कदमी की गई है।
दोनों घुटने बदले, फिर भी 70 साल की अवतार कौर 5 से 7 घंटे मशीन पर बैठकर तैयार कर रहीं ‘आंदोलन की पहचान’
अमृतसर के गांव मालावाली की 70 वर्षीय महिला माता अवतार कौर, जो कि किसानी आंदोलन से जुड़ी हैं। उनका परिवार खेती कानून के खिलाफ शुरू से ही मैदान में रहा है। वह बताती हैं कि 26 जनवरी की घटना के बाद ऐसा लगा कि सरकार आंदोलन को कुचल देगी और उसी के खिलाफ उन्होंने घर पर ही झंडा तैयार करना शुरू कर दिया।
हालांकि उनके दोनों घुटने बदले गए हैं, लेकिन जज्बा ऐसा है कि वह सिलाई मशीन पर बैठ कर रोजाना 5 से 7 घंटे झंडे तैयार करती हैं। उनके इस काम में उनकी पुत्र वधु भुपिंदर कौर तथा पोती महकप्रीत भी इसमें योगदान डाल रही हैं। उनका कहना है कि आंदोलन जारी रहने तक वह यह काम करती रहेंगी।
नारे छापने का प्रबंध घरों में ही किया- माता अवतार कौर के बेटे एडवोकेट कुलजीत सिंह ने बताया कि उनका बेटा साहिबजीत सिंह दिल्ली आंदोलन में है और घर पर महिलाएं झंडा तैयार करती हैं। रोजाना उनके यहां 200 झंडे तैयार हो रहे हैं। सूबे में यह पहली बार हुआ है जब किसानी के आंदोलन के झंडे परिवार में तैयार किए जा रहे हैं। कुलजीत िंसंह ने बताया कि अब तक उनके घर से 2000 से अधिक झंडे दिल्ली और दिल्ली जाने वाले लोगों को दिए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए वह कपड़ों का थान खरीद लेते हैं। पहले दो किसान मजदूर एकता जिंदाबाद वाला निशान बाहर से प्रिंट करवाते थे, जिस पर 15 रुपए से अधिक खर्च आता था लेकिन अब घर पर ही प्रिंटिंग की व्यवस्था कर ली गई है।
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