एनपीए में 5 प्रतिशत कटौती के विरोध में बुधवार तीसरे दिन भी फाजिल्का में सरकारी डाक्टर्स हड़ताल पर रहे। फार्मासिस्टों ने भी दवाओं की डिस्पेंसरी बंद रखी। इससे ओपीडी में पहुंचे 250 लोग बिना चेकअप करवाए लौटे। वहीं, सिविल अस्पताल में ओपीडी के अलावा इलेक्टिव सर्जरी, मेडिकल, ई-संजीवनी, वीसीएस, वेबिनार, यूडीआईडी कैंप सहित कामकाज पूरी तरह से ठप रखा गया।
एसएमओ डाॅ. सुधीर पाठक के अनुसार आम लोगों की परेशानी को देखते हुए उनकी ओर से मानवता के आधार पर 15 को पेरलल ओपीडी की जाएगी, जिसमें डाक्टर अपने रूम में न बैठकर रूम के बाहर या किसी अन्य जगह पर टेबल लगाकर ओपीडी करेंगे। उन्होंने बताया कि उनकी लड़ाई आम जनता से नहीं बल्कि सरकार से है।
पीसीएमस यूनियन के अध्यक्ष डाॅ. सुधीर पाठक का कहना है कि, उन्होंने पहले भी हड़ताल की थी, जिस दौरान सरकार की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था। अगर सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करने से पीछे नहीं हटेंगे। अबोहर में भी बुधवार को डॉक्टरों की हड़ताल रही। जिस कारण अस्पताल का पूरा कामकज ठप रहा।
हड़ताल के कारण मरीज परेशान रहे। डॉक्टरों ने सीतो रोड पर बने सरकारी वेटरनिटी अस्पताल में जाकर रोष प्रदर्शन किया व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गौरतलब है कि पे कमीशन की रिपोर्ट में पंजाब सरकार ने डॉक्टरों के एनपीए में कटौती कर दी है जिस कारण उनमें रोष है। इस अवसर पर डाॅ. सनमान मांजी, डाॅ. गगनदीप सिंह आदि समेत पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद था।
अस्पताल में डॉक्टरों को ढूंढते रहे मरीज
झोक डिपुलाना के सुखदेव सिंह ने बताया कि वह अस्पताल में आंखों का चेकअप कराने आया था। ओपीडी में ढाई घंटे इंतजार किया लेकिन डॉक्टर नहीं आया। गांव शमशाबाद निवासी बलवंत सिंह ने बताया कि वह 40 किलोमीटर दूर से चेकअप करवाने आया था। इमरजेंसी से पर्ची कटवाकर ओपीडी में 3 घंटे डॉक्टर का इंतजार किया, लेकिन डॉक्टर नहीं आए।
ओपीडी बंद होने के कारण मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा। इस हड़ताल के चलते न तो मरीजों को दवा मिली और न ही उनके टेस्ट हो सके। अगर मरीजों को हुई परेशानी की बात करें तो दोपहर तक 200 के करीब लोग हड़ताल के कारण अपनी पर्ची नहीं बनवा पाए। हड़ताल से पुलिस वाले भी परेशान हो रहे हैं, दरअसल विभिन्न केसों के आरोपियों के मेडिकल के लिए आए पुलिस वालों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।
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