एनपीए पर सरकार से नहीं मिला आश्वासन:सिविल अस्पताल में इमरजेंसी के लिए बनीं 105 पर्चियां आज से 3 दिन डॉक्टर समिति की स्लिप पर चलाएंगे ओपीडी

फिरोजपुर2 वर्ष पहले
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एनपीए में बढ़ौतरी की मांग को लेकर सिविल अस्पताल में प्रदर्शन करते डॉक्टर व अन्य सेहत कर्मी। - Dainik Bhaskar
एनपीए में बढ़ौतरी की मांग को लेकर सिविल अस्पताल में प्रदर्शन करते डॉक्टर व अन्य सेहत कर्मी।
  • तीसरे दिन भी डाॅक्टरों ने की हड़ताल, इमरजेंसी सेवाएं रहीं चालू

नाॅन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) के मुद्दे पर सरकार की तरफ से कोई आश्वासन न मिलने पर बुधवार तीसरे दिन भी सिविल अस्पताल में ओपीडी सहित अन्य सेहत सेवाएं बंद रखी गई। अस्पताल में ओपीडी की पर्ची बनाने वाले स्टाफ ने बताया कि वह रोजाना 500 से 600 के बीच ओपीडी की पर्ची बनाते थे जो हड़ताल की वजह से अब केवल इमरजेंसी सेवाएं के लिए ही पर्चियां बनाई गईं। इसमें सोमवार को 56, मंगलवार को 88 और बुधवार को 105 पर्चियां बनाईं जिले के करीब 100 डॉक्टरों व पैरा मेडिकल कर्मियों ने अस्पताल में प्रदर्शन किया।

समिति की तरफ से पीसीएमएसए के जिला अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कोचर ने बताया कि 15, 16 व 17 जुलाई से अस्पताल में ही एक कमरे में सभी डॉक्टर सरकारी पर्ची की बजाए अपनी समिति की तरफ से स्लिप जारी कर समानांतर ओपीडी चलाएंगे। अगर रविवार तक उनकी मांगें न मानी गईं तो सोमवार से इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी। सरकार ने 18 जुलाई तक एनपीए मसले का हल न किया तो राज्य के सेहत और पीसीएमएसए डाॅक्टर 19 जुलाई को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

ज्वाइंट गवर्नमेंट डाॅक्टर तालमेल समिति ने दी चेतावनी-मांगें न मानीं तो सोमवार से इमरजेंसी सेवाएं भी नहीं देंगे

हड़ताल के चलते मरीज बिना दवाई लिए लौट गए
आज अस्पताल में आने वाले मरीजों को डॉक्टरों की हड़ताल से परेशानी का सामना करना पड़ा और वह बिना डॉक्टर को दिखाए और दवाई लिए वापस लौट गए। मनु पुत्र अश्विनी कुमार बहल ने बताया कि वह अपने लड़के को इंजेक्शन लगवाने के लिए आया था पर हड़ताल की वजह से वापस लौट रहा है।

इसी तरह तिलक चंद जो गांव काकू वाला से किसी बीमारी के कारण अपने जरूरी टेस्ट करवाने के बिना ही लौट गया। वहीं डाक्टरों ने कहा कि छठे वेतन कमीशन में सरकारी डाॅक्टरों को दिए जाने वाले एनपीए को कम कर दिया है। इसे शुरुआती वेतन से भी डीलिंक कर दिया है। इस कारण राज्य के सभी सरकारी डाॅक्टरों में रोष है क्योंकि ऐसा करने से उनका वेतन कम हो जाएगा। पिछले डेढ़ साल से डाक्टरों ने कोरोना मरीजों व अन्य मरीजों की सेवा की हैै। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तब तक डॉक्टर संयुक्त तौर पर संघर्ष जारी रखेंगे।

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