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केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए किसान विरोधी कृषि कानून और बिजली संशोधन बिल 2020 के खिलाफ पंजाब के 31 किसान संगठनों का अनिश्चितकालीन ट्रेन बंद आंदोलन आज से शुरू हो गया है। इसके तहत फिरोजपुर के लगभग 10 संगठनों ने आज रेलवे स्टेशन के अंदर धरना शुरू कर दिया है। इसके अलावा किसान यूनियनों की ओर से बस्ती टैंकावाली में रेलवे ट्रैक पर लगाया गया रोष धरना 8वें दिन भी जारी रहा।
वहां किसानों की ओर से अंबानी व अडानी के पुतले फूंककर रोष व्यक्त किए गया। इसके साथ किसान यूनियन पदाधिकारियों ने रेलवे ट्रैक पर 2 अक्टूबर तक चलने वाले धरने को आगे बढ़ाते हुए 5 अक्टूबर तक लगाने का ऐलान किया व कहा कि जब तक इस काले कानून को रद नहीं किया जाता तब तक धरना जारी रहेगा। केकेयू पंजाब के राज्य प्रेस सचिव अवतार सिंह महमा ने कहा कि बेशक केंद्र सरकार ने कानून को जबरन लागू किया है लेकिन किसानों द्वारा इन काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई तेज की जा रही है। इन कानूनों को जमीन पर लागू नहीं होने दिया जाएगा क्योंकि यह हमारे पंजाब के अस्तित्व की लड़ाई है। अवतार सिंह महिमा राज्य प्रेस सचिव, केकेयू, देसराज बाजके, हरनेक सिंह महिमा, जिला अध्यक्ष बीकेयू डकौडा, दर्शन सिंह कर्मा, जसविंदर सिंह सयानवाला, जिला अध्यक्ष, बीकेयू मानसा ने सभा को संबोधित किया।
गिद्दड़बाहा व मुक्तसर में भी रेलवे लाइनों पर धरना
केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा पास किए गए 3 खेती कानूनों को रद्द करवाने के लिए गुरूवार को किसान आंदोलन के दूसरे पड़ाव में किसानों द्वारा मुक्तसर में गिद्दड़बाहा में रेल रोका आंदोलन के तहत रेलवे लाईनो पर धरना लगाया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस धरने में गांवों, शहरों व कस्बों से बड़ी गिनती में किसान, मजदूर, कर्मचारी व नौजवान शामिल हुए। इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के इन खेती कानूनों से किसानी तबाह हो जाएगी। नेताओं ने मोदी सरकार के निजीकरण को उत्साहित कर रही है, जिसके चलते ऐसे कानून पास किए जा रहे हैं।
खुली मंडी में किसानों को वाजिब भाव नहीं मिलेगा
किसानों ने कहा खुली मंडी में किसानों को फसल का वाजिब भाव नहीं मिलेगा। उन्होंने खेती विरोधी नए कानूनों को वापस लेने की मांग की। नेताओं ने कहा कि वह इन खेती कानूनों को रद करवाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे, क्योंकि यह खेती कानून हित में नहीं है।
किसानों ने अकाली व कांग्रेस को काॅरपोरेट घरानों का एजेंट बताया
यूनियन पदाधिकारियों ने अकाली व कांग्रेस को कार्पोरेट घरानों के एजेंट बताते हुए कहा कि यह पार्टियां पंजाब में मोदी सरकार के हक में काम करने का आरोप लगाया है। जैसे अकाली दल लगातार खेती बिल को सहमति देकर तीन महीनें तक इन बिलों की वकालत करता रहा है। अब वह अपने आकाओं को खुश करने के लिए कृषि कानून के खिलाफ संघर्ष करके लोगों बेवकूफ बना रहा है। इसी प्रकार कांग्रेस निजीकरण व उदारीकरण की नीतियां लागू करने की जन्मदाती है। उन्होंने अकाली दल व कांग्रेस इन दोनो पार्टियों को सख्त लहजे में देखते हुए कहा कि लोगों को इनके पुराने किरदार पहचान कर इन्हें गांवों में न घुसने दें।
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