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वस्त्र कारोबार के प्रतिष्ठित व्यापारी दुर्गा प्रसाद बांसल ने ताउम्र अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति पर ही भरोसा रखा और कदम-दर-कदम कामयाबी पाई। गिद्दड़बाहा नगर कौंसिल के उपप्रधान लाला बाऊ बुढलाडिया के घर 7 सितंबर 1940 को जन्मे दुर्गा प्रसाद ने छोटी उम्र से नौकरी करने की बजाए व्यवसाय को तरजीह दी। उन्होंने 1955 में बठिंडा में कपड़े का कारोबार शुरू किया और लगातार 15 साल तक कारोबार को फैलाया। 1981 में बठिंडा में अपना आशियाना बनाया, उनकी छत्रछाया में बठिंडा में डीपी संस और शीतलम स्टूडियो लोगों की पसंद के अनुरूप वस्त्र उपलब्ध करवा रहा है। दुर्गा प्रसाद बांसल की सच्चाई और
अनुशासन की बदौलत उनके तीनों बेटे अनिल बांसल, अरूण बांसल व सुधीर बांसल संयुक्त परिवार में रहते हैं और उनका कारोबार भी इकट्ठा ही है। यही नहीं, इनके पोते भी कपड़े के कारोबार में दिलो-जान से जुटे हैं। दुर्गा प्रसाद की धर्मपरायण व भला करने की सोच की बदौलत उन्होंने जरूरतमंदों के अक्सर काम आए। अपने परिवार व मुलाजिमों के दिलों पर अमिट छाप छोड़कर दुर्गा प्रसाद बांसल 11 जनवरी को दुनिया को अलविदा कह गए। इनके आत्मिक शांति के लिए रखे श्री गरूड़ पुराण पाठ का भोग व शांति पाठ 22 जनवरी को स्टेडियम के समीप स्थित छाबड़ा पैलेस में दोपहर 1 से 2 बजे तक पड़ेगा।
पॉजिटिव- आज समय कुछ मिला-जुला प्रभाव ला रहा है। पिछले कुछ समय से नजदीकी संबंधों के बीच चल रहे गिले-शिकवे दूर होंगे। आपकी मेहनत और प्रयास के सार्थक परिणाम सामने आएंगे। किसी धार्मिक स्थल पर जाने से आपको...
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