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कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे संघर्ष के तहत साेमवार काे किसानों ने एफसीआई के जिला स्तरीय दफ्तर के अलावा जिले भर के दफ्तरों का घेराव करते हुए रोष प्रदर्शन किया। मानसा दफ्तर के बाहर धरने को संबोधनकरते जत्थेबंदी के जिला प्रधान राम सिंह भैणीबाघा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों ने किसानी को तबाह करना ही है। उसके बाद भी केंद्र सरकार द्वारा तानाशाही तरीके से फैसला करते सरकारी खरीद एजेंसियों को दिन प्रतिदिन कमजोर किया जा रहा है। बेशक 25000 एपीएमसी मंडियों को खत्म करना हो, या फसल की सरकारी खरीद संबंधित शर्तों को सख्त करना हो या फिर एफसीआई में खाली पड़े पदों को न भरने का गैर जिम्मेदार रवैया हो, इन सभी बातों से जाहिर है कि केंद्र की हुकूमत एफसीआई जैसी सरकारी खरीद एजेंसियां जनतक बांट प्रणाली अाैर एपीएमसी मंडियों का भोग डालने पर तुली हुई है। किसान
नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने एफसीआई को हिदायत कर दी है कि जो किसान गेहूं बेचने के लिए मंडियों में लेकर आएंगे। उन किसानों से जमीन का रिकार्ड जमाबंदी ली जाए। जिसको बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। धरने के जरिए जत्थेबंदी मांग करती है कि उपरोक्त कमियों अाैर मांगों को पूरा किया जाए, नहीं तो मजबूरन जत्थेबंदी मंडियों में आए अधिकारियों का घेराव करेगी। इस मौके पर भान बरनाला, साधू अलीशेर, मेजर गोबिंदपुरा, दर्शन मंडेर, लीलु भंम्मे कलां, गुरप्रीत सिंह, मनप्रीत कौर भैणीबाघा, जगसीर जवाहरके, रमनदीप सिंह ने भी संबोधन किया।
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