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सेहत मुलाजिम संघर्ष कमेटी की जिला इकाई बठिंडा की तरफ से वीरवार को मीटिंग सिविल अस्पताल बठिंडा में की गई। जिसमें सेहत मुलाजिमों की काफी समय से लटकती आ रही मांगों और पंजाब सरकार की तरफ से इसे पूरा करने में की जा रही टाल मटोल नीति का विरोध कर अगली रणनीति पर विचार किया गया। मीटिंग का मुख्य एजेंडा डायरेक्टर सेहत और परिवार भलाई विभाग पंजाब के दफ्तर परिवार कल्याण भवन 34 -ए चंडीगढ़ में 21 जनवरी से लगातार शुरू की जाने वाली भूख हड़ताल रही। पंजाब के सेहत मुलाजिमों की तरफ से यह भूख हड़ताल कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, नव -नियुक्त मल्टीपर्पज हैल्थ वर्करों का प्राेबेशन पीरियड दो साल का करना, कोविड -19 में काम करन वाले सेहत कर्मचारियों को स्पेशल इंक्रीमेंट देने और बठिंडा संघर्ष के दौरान दर्ज किए गए झूठे पुलिस केस रद्द करने की मांगे को ले कर की जा रही है।
इस मीटिंग में किसानी संघर्ष के हक में एक प्रस्ताव भी पास किया गया। सेहत मुलाजिमों की तरफ केंद्र द्वारा बनाएं गए तीनों किसानी कानूनों को मानवता व खेती के खिलाफ करार दिया गया। जहां यह कानून किसानों, मज़दूरों, मुलाजिमों और भारतीय लोगों के लिए जीवन निर्वाह कठिन कर रहे हैं, वही इनके लागू करने में कानूनी कमियां भी हैं। समूह सेहत मुलाजिमों ने किसानों के संघर्ष के साथ सहमति प्रकटाते इस संघर्ष को मानवीय संघर्ष करार दिया। सभी सेहत मुलाजिमों ने केंद्र सरकार से माँग की कि यह तीनों ही काले कानून रद्द किये जाए और समूचे किसानी मांगों और एम.एस.पी. कानून को असली रूप में पूरे भारत में लागू किया जाए। नेताओं ने बताया कि 21 जनवरी से लगातार की जाने वाली भूख हड़ताल को लेकर तैयारियां मुकम्मल कर ली है।
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