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केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर जगह-जगह पर किसानों ने चक्का जाम किया। बटाला, गुरदासपुर, दीनानगर, डेरा बाबा नानक, कलानौर, धारीवाल में किसानों ने चक्का जाम किया।
इस दौरान किसानों ने कृषि कानून रद्द करने की मांग की। साथ ही 26 जनवरी की घटना की निंदा की। किसानों ने कहा कि जेलों में बंद बेकसूर किसानों को जल्द बाहर निकाला जाए। वहीं, बटाला डिपो बस 50 प्रतिशत ही बसें चलीं, यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। गुरदासपुर में विभिन्न संगठनों के झंडे तले बड़ी संख्या में लोगों ने दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक बब्बरी बाइपास पर चक्का जाम किया। जाम का नेतृत्व जगीर सिंह सलाच, अश्वनी कुमार, बलविंदर सिंह, कुलदीप सिंह, गुरदीप सिंह, जगीर सिंह ने किया।
चक्का जाम संघर्ष में जम्हूरी किसान सभा, पंजाब किसान यूनियन, किरती किसान यूनियन, पूर्व सैनिक संघर्ष कमेटी, कुल हिंद किसान सभा (सांबर), भारती किसान यूनियन, कुल हिंद किसान सभा (पुन्नेवाल), भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल), माझा संघर्ष कमेटी, किसान व जवान भलाई यूनियन आदि शामिल थी।
केंद्र औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए लाई कानून : किसान
किसान नेता जगजीत सिंह, गुरमीत सिंह, एसपी सिंह, संतोख सिंह, रघुबीर सिंह, अमर क्रांति, राज कुमार, सतनाम, सुखविंदर सिंह, अजीत सिंह, कुलदीप सिंह, अजीत सिंह, मक्खन सिंह, दयाल सिंह, गुरदयाल सोहल, मेजर सिंह, बलविंदर कौर, कमलजीत कौर, हरजिंदर, सुखदेव राज, सतनाम सिंह ने कहा कि कृषि कानून लाकर केंद्र ने औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने की नीति लागू कर रहा है। उधर, सुखदेव सिंह, अमरजीत शास्त्री, जगजीत सिंह, मक्खन कुहाड़ आदि ने 26 जनवरी को लाल किला हिंसा मामले को निंदनीय बताया और साजिश रचने वालों पर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने दिल्ली में कंटीली तारें, किल, बेरिगेड्स लगाने की निंदा की। उन्होंने जेलों में बंद निर्दोष किसानों को रिहा करने और दर्ज किए पर्चे रद्द करने की भी मांग की।
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