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संक्रांति कल:व्यवसाय के लिए बेहतर समय, रुद्राभिषेक और दान करें, 16 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में करेंगे प्रवेश, शिव और सूर्य पूजा का महत्व

गुरदासपुर2 वर्ष पहले
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सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं, इसमें से 4 संक्रांति मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति ही प्रमुख मानी गई हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसी तरह जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तो वह दक्षिणायन हो जाता है। आचार्य इंद्र दास ने बताया कि 16 जुलाई को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होगा और सूर्य दक्षिणायन हो जाएगा।

सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है। उस समय अवधि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

दक्षिणायन काल में रातें लंबी हो जाती हैं

आचार्य ने बताया कि जैसे कि इस वर्ष कर्क संक्रांति 16 जुलाई विशेष महत्व है, क्योंकि इस संक्रांति से उत्तरायण समाप्त होता है और दक्षिणायन प्रारंभ होता है इसकी अवधि 6 माह की होती है। कहा जाता है कि कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि तक दक्षिणायन रहता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि दक्षिणायन देवताओं की रात्रि होती है।

दक्षिणायन काल में रातें लंबी हो जाती हैं और विवाह, उपनयन और मुंडन जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता हैं, उस समय अवधि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर राशि में 1 महीने तक गोचर करने के बाद अब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि दक्षिणायन देवताओं की रात्रि होती है।

कर्क संक्रांति का महत्व

आचार्य ने बताया कि इस वर्ष कर्क संक्रांति आषाढ़ मास के दौरान पड़ने वाली है। इसका प्रभाव मेष राशि से मीन राशि तक पड़ने वाला है। कर्क राशि से उत्तरायण काल का समापन होता है और दक्षिणायन प्रारंभ हो जाता है, जो मकर संक्रांति पर समाप्त होता है। ‌कर्क संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना करना अत्यधिक कल्याणकारी माना गया है। स्नान और दान करना कर्क संक्रांति के दिन उत्तम माना जाता है। वहीं, इस समय में शिव पूजा करना अति उत्तम माना गया हैं। उन्होंने बताया कि सभी को इस दिन से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। व्यवसाय के लिए यह समय उत्तम रहेगा।

संक्रांति का शुभ समय
आचार्य ने बताया कि जैसे कि कर्क संक्रांति तिथि 16 जुलाई शुक्रवार को है। इसका पुण्य काल सुबह 5:34 से शाम 5:09 तक रहेगा। वहीं, संक्रांति महापुण्य काल दोपहर 2:51 से शाम 5:09 तक रहेगा।सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश करने का समय शाम 4:41 का रहेगा।

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