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जिला प्रशासन की ओर से कड़ाके की पड़ रही ठंड में बेसहारा लोगों के रहने के लिए शालीमार बाग की बैक साइड में रैन बसेरा का प्रबंध किया गया था। अखबारों में जिला प्रशासन की ओर से खूब प्रमोशन भी की गई। हकीकत कुछ और ही है। रेन बसेरा की इमारतों को शाम होते ही बंद कर दिया जाता है और बेसहारा लोग कड़ाके की सर्दी और बारिश में सड़कों पर सोने के लिए मजबूर हो रहे हैं। निगम की ओर से डीसी के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। इन रैन बसेरों पर लाखों रुपए खर्च कर महिलाओं और व्यक्तियों के लिए अलग-अलग इमारतें बनाई गईं हैं। इनकी रखवाली करने लिए केयर टेकर भी रखे गए हैं और उन्हें वेतन भी दिया जा रहा है। इस संबंधी जब डीसी दीप्ति उप्पल से फोन पर बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
इंचार्ज बोले-चेक करवाएंगे कि रात को रैन बसेरा को बंद क्यों कर देते हैं
यह तस्वीर मंगलवार रात की है, जब बारिश पड़ रही थी और कड़ाके की सर्दी थी। कुछ बेसहारा लोग सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे ठंड में सोने के लिए मजबूर थे। जिला प्रशासन की ओर से शहर में बेसहारा लोगों के लिए शालीमार बाग की बैक साइड में रैन बसेरा में रात के समय में ठहरने लिए इंतजाम करवाए गए है। इन रैन बसेरों को रात के समय ताले लगा दिए जाते है। भास्कर टीम ने जब मंगलवार और बुधवार रात रियल्टी चेक करने के लिए रैन बसेरों का सर्वें किया तो उनपर ताले जड़े हुए थे। भास्कर टीम ने जब सड़क किनारे सर्दी में पड़े हुए लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें रैन बसेरा के बारे में पता हैं लेकिन उन्हें वहां रहने नहीं दिया जाता है। इस कारण उन्हें रात काटने के लिए सड़क के किनारे सोना पड़ता है।
डीसी साहिबा जरा ध्यान दें..जिससे बेसहारों को मिल सके आसरा
जिला प्रशासन की ओर से अखबारों में बेसहारा लोगों तक रैन बसेरों की चर्चा भी की गई। रैन बसेरों का पुर्ननिर्माण किया गया था। डीसी साहिबा जरा इस तरफ ध्यान दें, जिससे बेसहारा लोगों को रात काटने के लिए छत का आसरा मिल सके। डीसी को इस बारे अवगत करवाने के लिए फोन भी किया गया लेकिन उन्होंने फोन उठाना मुनासिफ नहीं समझा। वहीं, जब रैन बसेरा के बाहर निगम की ओर से डिस्पले किए नंबरों पर फोन किया तो युवक अनमोल ने कहा कि उसकी डयूटी ऑफ हो गई है। अब दूसरे लड़के संत से फोन पर बात कर लें, वह रोटी लेने घर गया होगा। जब संत से फोन पर बात की गई तो उसने भी गोल मोल जवाब देकर फोन बंद कर दिया। रैन बसेरा के इंचार्ज गौरव का कहना है कि कि तीन लोगों की 8-8 घंटे ड्यूटी है। वह अपने तौर पर चेक करवाएंगे कि रात के समय रैन बसेरों को बंद क्यों कर दिया जाता है।
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