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  • After Partition, The Family Of Bhagat Singh Was Settled In Khatkarkalan, Even After Hanging, The Mother Used To Lay The Martyr's Bed.

पंजाब का वो गांव जहां शपथ लेगी AAP सरकार:खटकड़कलां में ही बसा था भगत सिंह का परिवार, फांसी के बाद भी शहीद का बिस्तर लगाती थी मां

नवांशहर, पंजाबएक वर्ष पहलेलेखक: सुनील राणा
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अंग्रेजी हुकूमत का तख्ता पलटने के लिए फांसी पर झूल जाने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह के गांव खटकड़कलां में पंजाब की रिवायती पार्टियों को धूल चटाने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार 16 मार्च को शपथ लेगी। पंजाब में यह पहला मौका है, जब विधानसभा में बहुमत हासिल करने वाले किसी राजनीतिक दल ने राजधानी चंडीगढ़ में गवर्नर हाउस से बाहर अपनी Oath सेरेमनी रखी है। 10 मार्च को पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भगवंत मान ने खटकड़कलां में शपथ लेने का ऐलान किया था। तभी से यह गांव चर्चा के केंद्र में है। आइए इस गांव के बारे में जानते हैं, जिसका अपना समृद्ध इतिहास है और 16 मार्च को जो फिर एक नए ऐतिहासिक पल का साक्षी बनेगा...

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पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर जिले (जिसे पूरा पंजाब नवांशहर नाम से जानता है) के खटकड़कलां गांव को भगत सिंह का पुश्तैनी गांव कहा जाता है। भगत सिंह खुद यहां कभी नहीं आए। बंटवारे के बाद भगत सिंह का परिवार पाकिस्तान से आकर यहां बस गया था। इस गांव के कुछ लोगों का दावा है कि पुलिस रिकॉर्ड में आज भी कुछ ऐसी एंट्री मौजूद हैं, जिनके मुताबिक भगत सिंह बंटवारे से पहले संयुक्त पंजाब का हिस्सा रहे इस गांव में छिपकर आया करते थे। हालांकि, पुलिस का कोई नुमाइंदा इसकी पुष्टि नहीं करता।

खटकड़कलां गांव जालंधर-चंडीगढ़ हाईवे से लगभग एक किलोमीटर अंदर की तरफ बसा है। लिंक रोड पर रेलवे लाइन क्रॉस करते ही गांव की हद शुरू हो जाती है। रेलवे लाइनों के साथ गांव में घुसते ही चौराहे पर बने बड़े पार्क से सटा हुआ भगत सिंह का घर है। बंटवारे के बाद भगत सिंह की मां विद्यावती और भतीजे-भतीजियां यहीं रहते थे। समय बीतने के साथ ही भगत सिंह की मां का देहांत हो गया और उसके बाद परिवार के सभी सदस्य एक-एक करके यहां से चले गए। आज की तारीख में इस घर को शहीद की यादगार के रूप में सहेजकर रखा गया है।

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घर में आज भी सजी है चारपाई, रखे हैं बर्तन

भगत सिंह के इस घर के बाहरी हिस्से में आज भी वो कुआं मौजूद है, जहां से उनका परिवार पानी भरता था। हालांकि, अब इस कुएं में पानी नहीं है और किसी तरह के हादसे से बचने के लिए इसे काफी हद तक मिट्टी से भर दिया गया है। खटकड़कलां गांव के लोगों के अनुसार, भगत सिंह को फांसी दिए जाने के बाद भी उनकी मां विद्यावती ये मानने को तैयार नहीं थीं कि उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा। इसलिए वह घर में उनकी चारपाई हमेशा वैसे ही लगाती थीं। आज भी वह चारपाई घर के कमरे में लगी है। बर्तन, चरखा, चक्की, संदूक सब यहां संभालकर रखे गए हैं।

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जन्मदिवस और शहादत वाले दिन लगते हैं मेले
खटकड़कलां में शहीद भगत सिंह का घर अब पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है। इसकी सारी देखरेख का जिम्मा पुरातत्व विभाग और नवांशहर जिला प्रशासन के पास है। पुरातत्व विभाग ने घर का पुराना स्वरूप मेन्टेन करके रखा है। ग्रामीणों को इस बात की खुशी है कि भगत सिंह से संबंध होने के कारण उनके गांव में काम हुए हैं। हालांकि, उन्हें इस बात का मलाल भी है कि सरकार में बैठे लोगों को शहीद के घर की याद साल में सिर्फ दो बार- भगत सिंह के जन्मदिवस 8 सितंबर और शहादत के दिन 23 मार्च को ही आती है। दोनों ही मौकों पर यहां हर साल मेले लगते हैं, जिसमें देश-विदेश से भगत सिंह को चाहने वाले यहां पहुंचते हैं।

भगत सिंह के कारण अमर हो गया गांव
खटकड़कलां पंचायत की सरपंच कुलविंदर कौर, पंचायत मेंबर तिरलोचन सिंह, झलमन सिंह व सुरिंदर सिंह कहते हैं कि भगत सिंह के कारण उनका गांव भी अमर हो गया है। अब पंजाब की नई सरकार उनके गांव में शपथ लेने आ रही है, इससे गांव का मान और बढ़ गया। गांव में ही रहने वाले सूबेदार जसपाल सिंह व जोगिंदर सिंह कहते हैं कि नई सरकार बेशक यहां शपथ लेने आ रही हो, लेकिन भविष्य में भी उसे भगत सिंह की सोच को आत्मसात करते हुए काम करने की जरूरत है।

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125 कोठियों पर ताले, परिवार चले गए विदेश
खटकड़कलां गांव में भगत सिंह के घर के आसपास बड़ी-बड़ी कोठियां बनी हैं। इस गांव की आबादी तकरीबन 2 हजार है। यहां तकरीबन 125 घर ऐसे हैं, जिन पर ताले लटके हैं। इनमें रहने वाले परिवार विदेश में बस चुके हैं और साल में एक-दो बार ही यहां आते हैं। गांव में रहने वाले लोगों का मुख्य पेशा खेतीबाड़ी ही है। यहां के कुछ लोग सरकारी नौकरी में भी है, मगर उनकी संख्या नाममात्र की है।

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