नगर निगम में फंड को लेकर हाथ तंग है। बजट की कमी हाेने से पेयजल लाइन, सीवर लाइन, नए ट्यूबवेल, पार्काें के साैंदर्यीकरण, सड़काें के निर्माण समेत सात बड़े प्रोजेक्टों की फाइलें पेंडिंग हैं। बीएंडआर, ओएंडएम, हेल्थ विभाग के काम भी बजट के अभाव में प्रभावित हाे गए हैं।
निगम के लेखा विभाग के मुताबिक काॅन्ट्रेक्टरों के करीब 35 करोड़ रुपए बकाया हैं, जिस कारण बीएंडआर ब्रांच के कॉन्ट्रेक्टरों ने दो माह से ज्यादा समय काम बंद कर रखा है। इस कारण शहरवासियों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। बता दें कि मई में ग्रांट वापस जाने के बाद से विकास कार्यों पर ब्रेक लगी है।
चंडीगढ़ अधिकारियाें ने ग्रांट वापस लेने के बाद वर्क ऑर्डर हाेने पर भी काम करने से मना कर दिया है। इसके बाद से इन कार्याें काे करने का काेई प्लान नहीं बना है। हालांकि नई सड़काें के निर्माण के एस्टीमेट बनाने का काम शुरू नहीं हाे सका है। नकाेदर राेड, मकसूदां राेड, कपूरथला राेड, इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कें, रेलवे काॅलाेनी समेत दर्जन से ज्यादा सड़काें पर गड्ढे वाहन चालकाें के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
सैलरी समेत प्राथमिकता वाले काम ही करवाए जा रहे - कमिश्नर
वहीं निगम ने वर्ष 2021-22 के बजट में सबसे ज्यादा 15 कराेड़ रुपए सड़काें के मेंटेनेंस काे रखे थे, जबकि नई वित्तीय वर्ष में सड़काें के निर्माण का बजट भी कम है। भुगतान नहीं हाेने से ठेकेदारों ने लुक बजरी और आरसीसी की सड़काें के टेंडर लेने से हाथ खींच रखे हैं। निगम को हर महीने मिलने वाले जीएसटी के करीब 12 करोड़ रुपए भी नियमित नहीं मिल रहे।
निगम की मानें ताे बजट में कर्मियाें और अधिकारियाें के वेतन में हर महीने लगभग 17 कराेड़ रुपए खर्च हाेते हैं, जाे बजट में प्राथमिकता में रखे जाते हैं। इस संबंध में कमिश्नर देविंदर सिंह ने बताया कि नगर निगम ने आय बढ़ाने के लिए प्राॅपर्टी टैक्स की वसूली पर जाेर दिया हैं। वहीं बजट के अभाव हाेने से प्राथमिकता वाले ही कार्य ही कराए जा रहे हैं।
गलियों-ट्यूबवेलों का भी काम नहीं
इतने भुगतान की फाइलें लंबित
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