पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनीतिक गर्माहट तेज होने लगी है। कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन के चलते सबकी नजर किसान वोट बैंक पर है। इसको लेकर अब कांग्रेस सरकार में CM कैप्टन अमरिंदर सिंह व शिरोमणी अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर बादल के बीच 'ट्वीट वार' चल पड़ी। पहले कैप्टन ने सुखबीर बादल, पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का कृषि कानून को सराहते वीडियो ट्वीट किया तो 23 मिनट बाद सुखबीर ने भी कैप्टन का कर्जा माफी का वीडियो ट्वीट कर दिया। दोनों ने इसका एक ही टाइटल 'कहीं भूल तो नहीं गए' ( LEST YOU FORGET) रखा है।
कैप्टन ने डाला ढाई मिनट का वीडियो, बादल फैमिली कृषि कानून का गुणगान कर रही
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ढाई मिनट का वीडियो डाला। जिसमें सुखबीर कह रहे हैं कि किसान हिंदुस्तान में कहीं मर्जी अपनी फसल बेच सकते हैं, जहां उन्हें अच्छे भाव मिलें। एक्ट का नाम भी इसी हिसाब से रखा गया है। मैं भी पार्टी स्टैंड स्पष्ट कर रहा हूं कि यह एक्ट MSP या उसकी खरीद रोकने या उसके भाव बंद करने के लिए नहीं है। फिर पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल कहते हैं कि मैं स्पष्ट बात कर रहा हूं कि यह नहीं हो सकता है कि MSP बंद हो जाए। एग्रीकल्चर मिनिस्टर ने भी बयान दे दिया है। मैं पंजाब के लोगों से अपील करता हूं कि यह गुमराहपूर्ण प्रोपेगंडा विरोधी पार्टियां कर रही हैं, इसमें कोई सच्चाई नहीं। हरसिमरत कह रही हैं कि किसानों के हित में पेश तीनों आर्डिनेंस को लेकर कहीं कोई विरोध नहीं है। सिर्फ पंजाब में लोगों को गुमराह करने व भ्रम पैदा करने के लिए कांग्रेस द्वारा विरोध कराया जा रहा है।
सुखबीर ने 23 सेकेंड में वीडियो में याद दिलाया कर्जा माफी का वादा
सुखबीर बादल ने 23 सेकेंड का कैप्टन अमरिंदर सिंह का चुनाव से पहले के भाषण का वो वीडिया ट्वीट किया है, जिसमें वो कह रहे हैं कि कई किसानों ने कोआपरेटिव बैंक, नेशनल बैंकों व आढ़तियों से लोन लिए हैं, यह कर्जा पंजाब सरकार देगी, किसानों को देने की जरूरत नहीं है।
यह राजनीतिक झगड़ा इसलिए क्योंकि पंजाब चुनाव में किसान ताकतवर
पंजाब की राजनीति में किसान सबसे ताकतवर है। राज्य की 75% आबादी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से खेतीबाड़ी से जुड़ी है। जिसमें मजदूरों व आढ़तियों के साथ सबसे बड़ा वर्ग किसान है। पंजाब की इकोनॉमी एग्रीकल्चर पर आधारित है। खेती होती है तो उससे न केवल बाजार चलता है, बल्कि ज्यादातर इंडस्ट्रीज भी ट्रैक्टर से लेकर खेतीबाड़ी का सामान बनाती हैं। पंजाब 117 विधानसभा सीटों में से 77 यानी करीब दो तिहाई सीटों पर किसान निर्णायक भूमिका में हैं।
... इसीलिए कैप्टन का आंदोलन को सपोर्ट, बादलों ने BJP का साथ छोड़ा
यही वजह है कि CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुरू से ही केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को खुलकर सपोर्ट किया। वहीं, अकाली दल पिछली बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के चलते साख गवां बैठा था। इस बार किसान आंदोलन को राजनीतिक हित के लिए मुफीद मानते हुए पहले केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत बादल ने इस्तीफा दिया, फिर सुखबीर बादल ने 22 साल बाद BJP की अगुवाई वाले NDA से गठबंधन तोड़ लिया। किसानों का वोट बैंक इस बार लगभग पूरी तरह आंदोलन के इर्द-गिर्द रहेगा, इसलिए पुरानी बयानबाजी को फिर से सामने लाकर किसानों के जख्म हरे कर राजनीतिक समर्थन जुटाने की कोशिश की जा रही है।
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