सिटी की ट्रैफिक को संभालने के लिए 250 से अधिक मुलाजिमों की जरूरत है। मौजूदा स्थिति ऐसी है कि 21 चौकों में से 11 पर यातायात नाजुक हालात में है क्योंकि 150 के करीब मुलाजिम 10 चौराहों को ही कवर कर पा रहे हैं। 2019 के बाद किसी भी मुलाजिम की भर्ती नहीं हुई बल्कि जो 30 महिला पुलिस कर्मचारी थी उन्होंने सख्त ड्यूटी के कारण ट्रांसफर करवा ली। इसके बाद कोई महिला कर्मचारी नहीं आई। ज्यादातर मुलाजिमों की ड्यूटी सिटी के एंट्री पाॅइंट पर लगाई जा रही है।
इस कारण अंदरुनी बाजारों की तरफ जाने वाली रोड पर सारा दिन जाम में आमजन परेशान रहता है। मनमर्जी के मोड में ऑटो दौड़ रहे हैं यानी जहां मन किया वहीं तीन पहिया घुसा देते हैं। ट्रैफिक पुलिस वाहनों को कंट्रोल कम तो चालान ज्यादा कर रही है। इसका गुस्सा लोग सोशल साइट्स पर निकाल रहे हैं। दूसरी ओर, शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालकों के चालान नाममात्र ही हैं। जितने एल्कोमीटर विभाग के पास हैं उनका इस्तेमाल बहुत कम किया जा रहा है।
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