4 अगस्त को सरकार-रोडवेज कर्मियों की वार्ता:बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत ठेके पर चलाने का विरोध, वेतन व अन्य मांगें भी रखेंगे

जालंधर10 महीने पहले
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सरकार के साथ बैठक की चिट्ठी रोडवेज ठेका कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों को देते प्रशासन के अधिकारी। - Dainik Bhaskar
सरकार के साथ बैठक की चिट्ठी रोडवेज ठेका कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों को देते प्रशासन के अधिकारी।

पंजाब के जालंधर जिले में रोडवेज़ कर्मचारियों द्वारा आज किया किया जाने वाला चक्का जाम टाल दिया गया है, यानी आज जालंधर में हाईवे जाम नहीं होगा। क्याेंकि सरकार ने रोडवेज़ कर्मचारियों को वार्ता के लिए समय दे दिया है। जालंधर जिला प्रशासन ने मध्यस्थता करते हुए सरकार से यूनियन की मीटिंग फिक्स कराई है। बैठक 4 अगस्त को होनी तय हुई है।

बता दें कि रोडवेज़-पनबस व PRTC ठेका कर्मचारी यूनियन ने एक अगस्त को विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरने की योजना बनाई थी। प्रथम चरण में यूनियन ने जालंधर में हाईवे जाम करने की कॉल दी थी। इसमें पंजाब के 27 डिपो में से जालंधर व आसपास के 7 डिपो के ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों भाग लेना था, लेकिन यह कॉल अब रद्द हो गई है।

परिवहन विभाग में ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों ने अपने आंदोलन की रूपरेखा पिछले दिनों जालंधर के देश भगत यादगार हॉल में एक बैठक करके बनाई थी। आंदोलन की रूपरेखा के अनुसार, एक अगस्त को हाईवे जाम का कार्यक्रम तय किया गया था, जबकि 2 अगस्त से परिवहन विभाग के मुख्यालय पटियाला में भूख हड़ताल शुरू करने की योजना भी थी।

रोडवेज-पनबस व PRTC ठेका कर्मचारी यूनियन के नेताओं का कहना है कि सरकार डबल स्टैंडर्ड अपना रही है। एक तरफ सरकार कहती है कि वह प्रदेश में ठेका प्रथा को खत्म करेगी, जबकि दूसरी तरफ सरकार प्रदेश के विभिन्न डिपो में खड़ी रोडवेज की बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत ठेके पर चलाने की योजना बना रही है। यूनियन ने सरकार की इसी वर्किंग के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाया है।

यूनियन का कहना है कि परिवहन विभाग सरकार का कमाऊ पूत है, लेकिन सरकारी खजाना भरने वाले कर्मचारियों को सरकार समय पर वेतन नहीं दे रही है। नेताओं का कहना है कि ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बजट में वेतन का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। हर बार उन्हें वेतन लेने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है, तब जाकर वेतन जारी किया जाता है।

यूनियन नेताओं ने कहा कि रोडवेज-पनबस व PRTC पिछले कुछ समय से घाटे में चल रही है। यूनियन सरकार को बार-बार कह रही है कि मुफ्त यात्रा वाला सिस्टम बंद करके 50 प्रतिशत किराया माफ वाला सिस्टम लागू करें, लेकिन सभी अपने वोट बैंक को देख कर रहे हैं, बसों की किसी को परवाह नहीं है। हालात यह है कि बसों में डीजल भरवाने तक के पैसे नहीं होते और उधारी में ईंधन डलवाया जा रहा है।

बसें डिपो में खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं, लेकिन उन्हें चलाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। सरकार पिछले 15-20 सालों से कच्चे तौर पर काम कर रहे कर्मचारियों को पक्का करने के प्रति कोई कदम नहीं उठा रही, जिससे यूनियन में रोष है।

जालंधर डिपो-1 के प्रधान गुरप्रीत सिंह भुल्लर, डिपो-2 के प्रधान सतपाल सिंह सत्ता, महासचिव रणजीत सिंह, चानण सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा 219 बसें किलोमीटर स्कीम के जरिए डाली जा रही हैं, जिसका लाभ प्राइवेट ठेकेदार ले जाएंगे व विभाग को होने वाली इनकम का नुकसान होगा।