पावरकॉम को बिजली चोरी करके चूना लगाना उपभोक्ताओं को अब और महंगा पड़ सकता है। अगर अब बिजली चोरी के मामले में उपभोक्ताओं को जुर्माना लगाया जाता है और वो समय पर पैसे जमा नहीं करवाता है तो नए बिजली कानून के हिसाब से उपभोक्ताओं को भगौड़ा करार दिया जा रहा है। नए बिजली कानून में 5 केसों में सख्त कानूनी कार्रवाई उपभोक्ताओं पर की गई है और भगौड़ा करार दिया गया। इसमें से एक उपभोक्ता को एंटी पावर थेफ्ट पुलिस ने काबू किया है। बाकी बचे 4 भगौड़े उपभोक्ताओं से पावरकॉम ने 5.5 लाख रुपए बिजली चोरी के मामले में किए जुर्माने के वसूलने हैं।
इस सख्त कानून से अब उपभोक्ताओं को हर हालत में पैसे जमा करवाने होंगे। पहले उपभोक्ता कंपाउंडिंग चार्जेस जमा करवाकर सजा से बच जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अगर समय रहते जुर्माना उपभोक्ता जमा नहीं करवाता है तो उसे पीओ करार दिया जा सकता है।
इंफोर्समेंट विंग की टीमें रोजाना अलग-अलग एरिया में रेड कर रही- डिप्टी चीफ इंजीनियर इंफोर्समेंट विंग रजत शर्मा ने भास्कर को बताया कि सीएमडी ए वेणू प्रसाद ने सख्त हिदायतें जारी की हैं कि किसी भी हालत में बिजली चोरी व मीटर से छेड़छाड़ करने वालों को न बख्शा जाए। इंफोर्समेंट विंग की टीमें रोजाना शहर में अलग-अलग जगह पर शक के आधार पर छापेमारी कर रही हैं और हर दूसरे दिन बिजली चोरी के मामले भी सामने आ रहे हैं। इन मामलों में मीटर रीडरों की शमूलियत ज्यादा पाई जा रही है। इसको लेकर कंपनी के अधिकारियों को वार्निंग दी है कि मीटर रीडरों पर सख्त कार्रवाई करे।
पावरकॉम ने बिजली चोरी के मामले में धारा-299 सीआरपीसी के तहत 4 उपभोक्ताओं को भगौड़ा करार दिया है। बिजली चोरी के मामले में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 धारा 135 के तहत कोर्ट में मामला दर्ज करवाया गया था। जुर्माना लगने और कोर्ट में पेश न होने पर उपभोक्ता को भगौड़ा करार दिया गया है।
मामला दर्ज होने पर कोर्ट में होना होगा पेश - पावरकॉम द्वारा बिजली चोरी के मामले में जुर्माने जमा न करवाने और भगौड़ा करार होने के बाद उपभोक्ता पैसे जमा नहीं करवाता है तो धारा-83 सीआरपीसी के तहत उसकी प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती है। पावरकॉम की सख्ती के बाद एंटी पावर थेफ्ट पुलिस ने एक भगौड़े को काबू किया है। इंफोर्समेंट विंग के अधिकारियों ने बताया कि रोजाना मॉनिटरिंग की जा रही है कि किस एरिया में बिजली चोरी हो रही है। बिजली चोरी करना साधारण अपराध नहीं है। पकड़े जाने पर बिजली एक्ट के तहत मामला दर्ज होता है और कोर्ट के अलग से चक्कर लगाने पड़ते हैं। समय पर जुर्माना अदा न करना और कोर्ट में सुनवाई के दौरान गैर-हाजिर रहना उपभोक्ता को सजा दिला सकता है।
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