थैलेसीमिया दवाओं से नहीं, बल्कि जागरूकता से ही खत्म किया जा सकता है। आज थैलेसीमिया डे है, जिसका थीम ‘जागरूकता और बचाव’ ही है। डाॅक्टर्स का कहना है कि थैलेसीमिया का सरकारी अस्पतालों इलाज संभव है।
पंजाब में करीब 1500 व जालंधर में 64 रजिस्टर्ड मरीज हैं। इनका इलाज सिविल अस्पताल में किया जा रहा है। डाॅक्टर्स का कहना है कि शरीर में महत्वपूर्ण सेल न होने के चलते थैलेसीमिया के मरीज में खून नहीं बनता। आयरन की मात्रा ज्यादा होने के कारण उसे संतुलित करने के लिए दवा दी जाती है।
दवा की कमी से मरीजों के परिजन परेशान
ब्लड बैंक में थैलेसीमिया बच्चों के लिए वार्ड बनाया गया है। शनिवार को सिविल में अपने 11 साल के बेटे मनप्रीत को ब्लड चढ़वाने आए गुरदीप सिंह ने बताया कि बच्चों को आयरन की दवा सरकारी अस्पताल से न मिलने के चलते कई बार मार्केट से एक दवा का पत्ता खरीदने के लिए 1200 से 1400 रुपए का खर्च आता है। इस कारण चलते परेशानी का सामना करना पड़ता है।
गर्भावस्था में एंटी नेटल थैलेसीमिया टेस्ट करवाएं
सीएमसी लुधियाना की सीनियर डॉक्टर श्रुति कक्कड़ का कहना है कि थैलेसीमिया की बीमारी में मरीजों को दवा के लिए ज्यादा भटकना नहीं पड़ रहा है, क्योंकि थैलेसीमिया के रजिस्टर्ड बच्चों को सरकारी अस्पतालों में इलाज मिल रहा है। इसके अलावा जब महिला गर्भवती होती है, तो उसे पहले तीन महीने में अपना थैलेसीमिया का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। अगर गर्भस्थ बच्चे को इस रोग से बचाना है तो विवाह से पहले वर और वधू को टेवे मिलाने से पहले अपने खून की जांच जरूर करवानी चाहिए, क्योंकि खून की जांच से ही थैलेसीमिया का पता चलता है। अगर माता-पिता माइनर थैलेसीमिक हों तो बच्चा मेजर थैलेसीमिक पैदा होता है।
जानें क्यों थैलेसीमिया पीड़ित को होती है रक्त की जरूरत
नेशनल हेल्थ मिशन के साथ स्टेट ब्लड सेल के नोडल अफसर डाॅ. बॉबी गुलाटी का कहना है कि थैलेसीमिया के बच्चों में खून बनाने वाले सेल की कमी के कारण खून नहीं बन पाता, जबकि शरीर में आयरन की मात्रा ज्यादा बढ़ने के चलते और खून न बनने के कारण बच्चों को आयरन की मात्रा कम करने के लिए दवा दी जाती है। इसके बाद बच्चे में खून की कमी पूरी करने के लिए हीमोग्लोबिन की मात्रा जांचने के बाद मरीज को 15 या हफ्ते बाद खून चढ़ाया जाता है। इसका विभाग की तरफ से जिला स्तर के अस्पताल में प्रबंध किया गया है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.