सरकार बेशक लाख दावे करे कि जालंधर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। शहर को खुले में शौच और गंदगी से मुक्ति कराने के लिए ढेरों प्रबंध किए गए हैं, लेकिन धरातल पर जमीनी हकीकत यह है कि शहर करोड़ों-अरबों खर्च करने के बाद न तो अभी तक स्मार्ट बन पाया है और न ही शहर को गंदगी से मुक्ति मिल पाई है।
शहर के बहुत से इलाके ऐसे हैं, जहां पर महीनों से सीवरेज ब्लॉकेज की समस्या बनी हुई है। गलियों में सीवरेज ओवरफ्लो होने से फैली गंदगी शहर को शौच मुक्त करने जैसे नगर निगम के दावों को मुंह चिढ़ा रही है। शहर के आउटर पार्ट से लेकर अंदर के क्षेत्रों तक हर जगह सीवरेज ब्लॉकेज की समस्या बनी हुई है।
कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां पर सीवरेज ब्लॉकेज के कारण नगर निगम ने जल अपूर्ति बंद कर दी है। यह जल अपूर्ति इसलिए बंद की गई है, ताकि सीवरेज के ओवरफ्लो होने पर सड़कों गलियों पर गंदगी और गंदी पानी जमा न हो सके। लोग बार-बार नगर निगम के अधिकारियों से शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन इस समस्या का कोई ठोस हल नहीं निकल पा रहा है।
शहर में पठानकोट बाइपास के इलाकों, लम्मा पिंड क्षेत्र, शहर के बीच गांधी कैंप वाला एरिया, गुरदेव नगर, न्यू गौतम नगर, शहर के पॉश एरिया GTB नगर समेत शहर की शायद ही कोई गली ऐसी होगी, जहां पर सीवरेज ओवरफ्लो न रहते हों। यह समस्या बारिश से पहले चलती आ रही है। नगर निगम के अधिकारियों के पास बहना था कि बारिश के पानी के कारण सीवरेज ओवरफ्लो हो रहे हैं, लेकिन अब बारिश खत्म होने को बाद उनके पास कोई बहाना नहीं रह गया है।
शहर में पठानकोट बाइपास के साथ लगते हरगोबिंद नगर में तो सीवरेज ब्लॉकेज के कारण निगम के अधिकारियों ने वहां की वाटर सप्लाई ही बंद कर दी है। लोगों को पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। उनकी कॉलोनी में वाटर सप्लाई और सीवरेज की समस्या करीब पिछले चार महीने से चलती आ रही है।
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