पंजाब के जालंधर में विदेश भेजने के नाम पर अभी तक लूट का खेल बंद नहीं हुआ है। जिन लुटेरी ट्रैवल एजेंसियों के प्रशासन ने शिकायतें आने के बाद लाइसेंस रद्द किए थे वह गैर कानूनी तरीके से अब भी पुलिस औऱ प्रशासन की नाक तले धड़ल्ले से अपनी ठगी की दुकानें चलाए हुए हैं। अब नया मामला सार इंटरप्राइजेज का आया है।
सार इंटरप्राइजेज का करीब तीन महीने पहले तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने शिकायतें आने के बाद लाइसेंस रद्द कर दिया था, लेकिन हैरानी की बात है कि लाइसेंस रद्द होने के बावजूद ठगी की दुकान रोज खुलती है और लोगों को लूटा जा रहा है। सार इंटरप्राइजेज के खिलाफ अह नया मामला पुर्तगाल का जाली वीजा देने का सामने आया है।
फतेहगढ़ साहिब से आए दो युवकों बिक्रमजीत औऱ परमप्रीत ने बताया कि उन्होंने सार इंटरप्राइजेज में विदेश जाने के लिए संपर्क किया था। पहले इन्होंने एक लाख रुपया ऑफर लेटर देने की एवज में लिया। युवकों ने कहा कि एक लाख रुपए की पेमेंट उन्होंने चेक के माध्यम से की थी। इसके बाद सार इंटरप्राइजेज ने उन्हें वाट्सएप पर वीजे की कापी भेजी। वीजे की कापी भेजने के बाद कहा कि चार लाख रुपया और जमा करवाओ।
युवकों ने कहा ने जब उन्होंने वीजा चेक करवाया तो वह जाली निकला। इसके बाद जब सार इंटरपाइजेज में आकर उन्हें कहा कि वीजा जाली है तो वह पहले मानने को तैयार नहीं थे। बाद में वह बहस करने और धमकियों पर आ गए कि जो करना है वो कर लो। जहां मर्जी शिकायत कर लो कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
ठग को पहले एसी कमरे में बिठाकर वीवीआईपी ट्रीटमेंट, फिर छोड़ दिया
बिक्रमजीत ने कहा कि उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन लगाया। पुलिस मौके पर आई और सार इंटरप्राइजेज के मालिक व उन्हें थाने ले आई। युवकों ने आरोप लगाया कि उन्हें थाने में कमरे से बाहर निकाल दिया, जबकि ठगी करने वाले को एसी कमरे में बिठाया हुआ था। थोड़ी देर बाद पुलिस वालों ने उन्हें छोड़ दिया। जब वह अंदर पूछने गए तो जो पुलिस वाला हरदयाल सिंह एएसआई उन्हें पकड़ कर लाया था ने कहा कि उसने अपनी गारंटी पर इन्हें छोड़ा है।
एएसआई से पूछने पर उसने कहा कि शिकायत नोट कर ली है। एसएचओ के कहने पर गारंटी लेकर इन्हें छोड़ा गया है। एएसआई से जब पूछा गया कि इन्होंने जाली वीजा बनाने का काम किया है, अपराध किया तो बोला कि उन्हें गारंटी लेकर छोड़ा गया है। युवकों ने आरोप लगाया कि पुलिस भी एजेंटों के साथ मिली हुई है। सरेआम जाली वीजा देने वालों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के बाद छोड़ दिया गया।
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