कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक तरफ जहां जिंदगी पटरी पर लौट रही है तो वहीं, घरेलू कलह में भी इजाफा देखा जा रहा है। पति-पत्नी की लड़ाई में शराब बड़ी वजह बन रही है। सखी सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार बीते 12 महीने में घरेलू झगड़ों की 2400 से अधिक शिकायतें आई हैं, जिनमें 70% मामलों यानी 1680 केस में शराब वजह है।
जबकि कोरोना से पहले इस तरह के मामले 40 से 50% होते थे। हालांकि, पतियों का तर्क है कि वे शराब शौकिया नहीं, बल्कि कोरोनाकाल में नौकरी खोने के डर अथवा बिजनेस प्रभावित होने की चिंता के चलते पीते हैं। सखी सेंटर में जो शिकायतें आई हैं उसमें पत्नियों का कहना है कि पति रात को घर लेट आते हैं, अगर किसी बात के बारे में पूछ तो चिल्ला उठते हैं, अगर गुस्से का कारण पूछो तो मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
केस-1 शराब के चलते पत्नी-बच्चे छोड़े, केस कोर्ट में
सखी सेंटर में आए एक मामले में 40 वर्षीय महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि उसका पति 10 साल से शराब पी रहा है। अक्सर वह देर रात घर लौटता था। पूछने पर गाली-गौलज भी करता है। हालांकि घर में कोई आर्थिक परेशानी नहीं थी लेकिन फिर भी पति ने शराब के चलते उसे और दो बच्चों को अलग कर दिया।
जब फैसला काउंसलिंग के बाद भी नहीं हो पाया, तो मामला अब कोर्ट में है। पीड़ित महिला ने बताया कि मामला इतना बढ़ गया था कि उसके बच्चे खुद उससे कहने लगे थे कि अब आप अलग हो जाइए नहीं तो वे घर छोड़कर चले जाएंगे।
केस-2 शराबी पति से तंग आकर पत्नी मायके गई
सखी सेंटर में एक मामला ऐसा भी आया, जिसमें पहली बार एक बेटी ने अपनी मां के खिलाफ शिकायत दी। शिकायत में बेटी ने लिखा कि वह अपने शराबी पति से तंग आकर अलग होकर बच्चों के साथ मायके में रहनी लगे थी। लेकिन मां उसे ताने देने लगी कि न तू अपने पति की हुई न तू हमारी हुई। जिसके बाद पत्नी ने खुद पति के साथ रहने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद सेंटर में दोनों को बुलाया गया और काउंसलिंग की मदद से समझौता करवाकर घर भेज दिया गया।
सीधी बात - राजवीर सिंह, स्टेट कोऑर्डिनेटर, वन स्टॉप सखी सेंटर
काउंसलिंग से 80 फीसदी परिवार टूटने से बचाए
पति-पत्नी की लड़ाई के कई मामलों में मुख्य वजह शराब ही है। 13 महीने में 70 फीसदी मामले ऐसे ही पाए गए हैं। 80 फीसदी मामले पति-पत्नी को सामने बिठाकर काउंसलिंग से हल कर दिया जाता है। 20% मामले ही कोर्ट तक पहुंचते हंै, क्योंकि ना तो पति और ना ही पत्नियां एक दूसरे की बात सुनने को तैयार होती हैं।’
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