कैप्टन अमरिंदर सिंह के तख्तापलट के बाद भी पंजाब कांग्रेस में कलह थम नहीं रही है। अब प्रदेश प्रधान नवजोत सिद्धू और नए डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा के बीच अनबन हो गई है। डिप्टी सीएम रंधावा ने सोमवार को पंजाब सचिवालय में चार्ज संभाला। इस दौरान सिद्धू वहां नहीं आए। अनबन पर किसी की अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि इसे रंधावा के CM न बन पाने से जोड़कर देखा जा रहा है।
सिद्धू ने रंधावा को मुख्यमंत्री बनाने का यह कहकर विरोध किया था कि जट्ट सिख को बनाना है तो फिर मुझे बनाओ, जिसके बाद रंधावा का पत्ता कट गया। उनकी जगह चरणजीत चन्नी पंजाब के पहले दलित CM बन गए। रंधावा उनके डिप्टी बनकर रह गए। कांग्रेस के भीतर भी अब यह नया विवाद पकने लगा है।
सिद्धू की वजह से ऐसे CM बनते-बनते रह गए रंधावा
कैप्टन को कुर्सी पर बिठाने-उतारने वाली माझा एक्सप्रेस का हिस्सा रंधावा
सुखजिंदर रंधावा भी तृप्त बाजवा व सुख सरकारियों वाली माझा एक्सप्रेस के अहम अंग हैं, जो पंजाब में सत्ता बनाने व हटाने का दम रखती है। कैप्टन को 2017 में इन्हीं लोगों ने पूरी मदद करके सत्ता तक पहुंचाया। तब कैप्टन को प्रताप सिंह बाजवा की बगावत झेलनी पड़ रही थी। बदलते वक्त के साथ कैप्टन के उनसे रिश्ते बिगड़ते गए। फिर कैप्टन का तख्तापलट करने की अगुवाई भी इन्हीं लोगों ने की और उसे अंजाम तक पहुंचाया।
सिद्धू की प्रधानगी को लेकर डटे रहे
नवजोत सिद्धू की प्रधानगी का जब विरोध हो रहा था तो रंधावा उनके साथ डटे रहे। औपचारिक ऐलान से पहले ही रंधावा सिद्धू के साथ रहे। सब नेताओं से मिलवाया। माफी मंगवाने पर अड़े कैप्टन की मांग का विरोध भी किया। सिद्धू के लिए हर तरह की फील्डिंग लगाई। हालांकि जब रंधावा को इसका फल मिलना था तो सिद्धू ने ही अड़ंगा लगा दिया।
ऐसी कोई बात नहीं : रंधावा
हालांकि इस मामले में सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि मैं पैदाइशी कांग्रेसी हूं। कांग्रेस का सच्चा सिपाही हूं। हाईकमान की मर्जी है कि किसे CM बनाना है। मंत्री या मुख्यमंत्री बनने की मर्जी सबकी होती है, लेकिन इसे पार्टी के बड़े नेताओं को देखना होता है कि किसे बनाना है और किसे नहीं। मैं चन्नी के CM बनने का स्वागत करता हूं। मुझे किसी पद की लालसा नहीं है।
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