नवजोत सिद्धू के साथ विवाद के बीच पंजाब में CM चरणजीत चन्नी की सरकार को एक महीना पूरा हो गया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद उन्हें सीएम की कुर्सी मिली थी। लेकिन जिन मुद्दों पर कैप्टन को कुर्सी से हटाया गया, वे अब भी वहीं खड़े हैं। बेअदबी, उससे जुड़े गोलीकांड और ड्रग्स के केस में कोई कार्रवाई नहीं हुई। चन्नी सरकार के मंत्री इस पर मामला कोर्ट में होने की दुहाई दे रहे हैं। महंगी बिजली की वजह बने समझौते (PPA) भी बरकरार हैं। पंजाब के बड़े मुद्दे छोड़कर चन्नी सरकार का फोकस वोट बैंक पर है।
बड़े मुद्दों पर कैप्टन वाला राग
बड़े मुद्दों पर चन्नी सरकार भी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार वाला राग ही अलाप रही है। श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी और उससे जुड़े गोलीकांड के मामले में कोर्ट में हैं। नशा तस्करों की रिपोर्ट हाईकोर्ट में सीलबंद पड़ी है। पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू इन मुद्दों पर मुखर और उत्साहित रहे हैं। हालांकि अब इस पर मंत्री परगट सिंह से लेकर डिप्टी सीएम ओपी सोनी भी कह रहे हैं कि मामले कोर्ट में हैं। उन पर कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे।
बिजली समझौते बरकरार
कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की बड़ी वजह पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार के वक्त हुए बिजली समझौते थे। जिनकी वजह से पंजाब के लोगों को महंगी बिजली मिल रही है। नवजोत सिद्धू दावा करते थे कि पहली कैबिनेट में इन्हें खत्म कर देंगे। हर घर को 3 से 5 रुपए यूनिट बिजली मिलेगी। एक महीने बाद भी बिजली खरीद समझौते यानी पावर परचेज एग्रीमेंट जस के तस हैं। कैप्टन के वक्त शुरू हुई कार्रवाई भी ठप हो गई है। लोगों को अब भी महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है।
सिर्फ वोट बैंक पर फोकस
चन्नी सरकार का फोकस सिर्फ वोट बैंक पर है। इसके लिए 2 किलोवाट से बिजली से कम वाले कनेक्शनों के बकाया बिल माफ कर दिए गए हैं, जिससे खजाने पर 1200 करोड़ का बोझ पड़ा। बकाया न भरने की वजह से काटे गए एक लाख कनेक्शन फिर से जोड़ दिए गए हैं। इसके बाद सीवरेज-पानी बिल के बकाया भी माफ कर दिए गए हैं। हर किसी को सस्ती बिजली की जगह, जिन लोगों को 200 यूनिट फ्री मिलती थी, उसे बढ़ाकर 300 यूनिट कर दिया। इसके अलावा लाल डोरे में आने वाले लोगों को उनके कब्जे वाली प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दे दिया।
चन्नी-सिद्धू विवाद का हर दिन नया एपिसोड
कांग्रेस हाईकमान को कहा गया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा दो, पंजाब कांग्रेस की कलह खत्म हो जाएगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। चरणजीत चन्नी के सीएम बनते ही सिद्धू उनसे भिड़ गए। पहले एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल और फिर डीजीपी इकबालप्रीत सहोता की नियुक्ति पर सिद्धू ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी। नाराजगी में इस्तीफा तक दे दिया। अब भी कांग्रेस हाईकमान की माथापच्ची के बावजूद सिद्धू और चन्नी की दूरियां कम नहीं हो रहीं। रविवार को बंद कमरे में हुई बैठक में तो सीएम चन्नी ने कुर्सी छोड़ने की पेशकश तक कर दी।
अब सिर्फ 2 महीने बचे
चन्नी सरकार के पास अब सिर्फ 2 महीने का वक्त बचा है। ऐसे में हर किसी की नजर इस पर रहेगी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर वे कोई मुद्दे हल कर पाते हैं या सिर्फ सरकार बनाने की कोशिश तक सीमित रहते हैं। एक महीने का वक्त देखकर तो सियासी माहिर भी यही कह रहे हैं कि सरकार का कार्यकाल खत्म हो जाएगा, लेकिन मुद्दे अगले चुनाव में भी इसी तरह जिंदा रहेंगे।
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