कुलपतियों और प्रिंसिपल्स को भेजा पत्र:स्कूल व कॉलेजों में स्थापित होंगे टूरिज्म क्लब, विद्यार्थियों को पर्यटन के क्षेत्र में मिलने वाले अवसरों के बारे में दी जायेगी जानकारी

जालंधर6 महीने पहले
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विद्यार्थियों को देश की संस्कृति, राज्यों के भूगोल और वहां के महत्व के बारे में बताने के लिए अब टूरिज्म क्लब की स्थापना की जाएगी। इस संबंध में यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों और कॉलेज के प्रिंसिपल्स को पत्र भेजा है। यूजीसी ने पत्र भेजकर बताया है कि इस साल पर्यटन मंत्रालय इंडिया@75 के तहत युवा टूरिज्म की लॉन्चिंग के साथ ही स्कूल, कॉलेज व अन्य प्रोफेशनल के साथ नेशनल टूरिज्म क्लब की स्थापना करने जा रहा है।

इसका मकसद युवाओं को देश की विभिन्न संस्कृतियों के बारे में समझाना है। इसके साथ ही ट्रेवल और टूरिज्म के महत्व को भी बताना है। इस प्राेग्राम में युवाओं को हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में ट्रेनिंग देना भी शामिल है। वहीं, इस कार्यक्रम के जरिए स्टूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम को भी बढ़ावा दिया जाएगा। कार्यक्रम के तहत स्कूलों में कक्षा छह से क्लब का गठन किया जाएगा। इसमें कम से कम 25 स्टूडेंट्स शामिल होंगे।

कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी स्कूलों की तर्ज पर ही इन क्लब का गठन किया जाएगा। इसी प्रकार जिला, जोनल और राज्य स्तर पर भी क्लब का गठन होगा। जो स्थानीय स्तर पर ऐसे स्थानों की पहचान करेंगे, जो पर्यटन की संभावना होने के बावजूद अब तक विकसित नहीं किए गए। मंत्रालय इस क्लब में शामिल स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित करने के साथ ही उनकी ओर से किए गए कामों का रिव्यू करेगा। बेहतर काम करने वाले क्लब को सम्मानित किया जाएगा।

करिकुलम में ट्रेवल व टूरिज्म भी होगा शामिल

यूजीसी के आदेश के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में कॉलेज, जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर निबंध लेखन, लोगो डिजाइनिंग, माय शॉट, क्विज, पेंटिंग, पोस्टर डिजाइनिंग जैसी प्रतियोगिताएं करवाई जाएंगी। साथ ही करिकुलम में ट्रेवल और टूरिज्म को शामिल किया जाएगा।

पर्यावरण को बचाने, लोकल लोगों से ज्यादा बात करने, वहां की संस्कृति और परंपरा को जानने के लिए युवा टूरिस्ट्स को प्रेरित किया जाएगा। ऑफ-सीजन में भी ट्रेवल करेंगे, जिससे कि लोकल टूरिज्म अर्थव्यवस्था भी चलती रहे। इस अभियान के तहत विभिन्न तरह के टूर्नामेंट भी आयोजित होंगे। साथ ही ऐसी जगहों पर जाने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित किया जाएगा. जहां बेहद कम लोग जाते हैं।

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