गेस्ट सहायक प्रोफेसर अब सरकार को सबक सिखाने के मूड में आ गए हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री के घर के बाहर ज्यादा नारेबाजी करने के बजाय सरकार के खिलाफ मोर्चा गांवों में खोला हुआ है। सहायक प्रोफेसर सुबह ही शिक्षा मंत्री परगट सिंह विधानसभा क्षेत्र के गांवों में निकल जाते हैं। चाय नाश्ता भी वहीं पर लंगर लगाकर करते हैं और माइक पर लोगों को सरकार के खिलाफ पूरा लेक्चर देते हैं।
गेस्ट फैकल्टी सहायक प्रोफेसरों का कहना है कि वह सरकारी कॉलेजों में पिछले पंद्रह-बीस सालों से सेवाएं देते हुए आ रहे हैं। सरकार ने इतने सालों तक लगातार सेवा के बाद भी उन्हें न तो पक्का अभी तक पक्का किया और न ही वेतन बढ़ाया। बल्कि अएब उल्टा नई पोस्टें निकाल कर उनकी नौकरी खाने पर तुली हुई है। सरकार को चाहिए था कि वह पहले उन्हें एडसजस्ट करती लेकिन सरकार ने सीधे ही नई भर्ती शुरू कर दी। जब कठिन समय था कॉलेजों में प्रोफेसर नहीं थे उस वक्त उन्होंने सेवाएं दी वह भी पंद्रह से बीस साल औज जब वह ओवरएज हो गए हैं तो उनकी नौकरियां छीनी जा रही हैं।
शिक्षा मंत्री परगट सिंह की मिट्ठापुर कोठी के बाहर पिछले कई दिनों से लगातार धूप, बरसात, ठंड में अपनी मांगों को लेकर गेस्ट फैकल्टी प्रोफेसर धरना दे रहे। गेस्ट सहायक प्रोफेसरों का कहना है कि वह पिछले लंबे समय से अपना धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उन्हें सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार घर-घर रोजगार देने के दावे कर रही है, बड़े बड़े होर्डिग्स लगाकर कर्मचारियों को पक्के करने के दावे कर रही है जबकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। नौकरियां देने के बजाय छीनी जा रही हैं। धरने पर बैठे प्रोफेसरों का कहना है कि उन्हें अठारह दिसंबर को उनके मसले पर चर्चा के लिए मीटिंग का समय दिया गया था लेकिन उसे भी रद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उनकी नौकरियां जा रही हैं, रोजगार छीना जा रहा है और असंवेदनशील सरकार चुप बैठी है।
गांव वाले लंगर लगा पिला रहे चाय
गेस्ट सहायक प्रोफेसर जब टोलियों में गांवों की तरफ निकलते हैं तो उससे पहले पूरी प्लानिंग के साथ वहां के मोहतबर लोगों से संपर्क साधते हैं। जब गांव में जाते हैं बाकायदा उन्हें सुबह-सुबह गांव में ही लोग चाय नाश्ता भी करवा रहे हैं। चाय नाश्ता करवाने वाले जरूरी नहीं कोई विरोधी धड़े के नेता है बल्कि सत्ताधारी दल के नेता भी यह प्रबंध करते हैं। आज गांव कादियांवाली में सुबह-सुबह पहुंची गेस्ट सहायक प्रोफेसरों की टोली को वहां के एक एक कांग्रेसी नेता ने चाय नाश्ते का प्रबंध करके दिया था। चाय नाश्ते के बाद प्रोफेसर अपनी मांगों और दुख को लोगों के समक्ष बयान करते हैं। इसके बाद अगले डेस्टिनेशन लिए निकल पड़ते हैं।
अब हम प्रोफेसर नहीं चुनाव अफसर हैं
गेस्ट सहायक प्रोफेसरों का कहना है कि अब उनकी नौकरी चली जाएगी। वह बेरोजगार हो जाएंगे और सड़क पर आ जाएंगे। अब उनके पास कोई काम धंधा तो है नहीं लेकिन सरकार को सबक जरूर सिखाना है। उनका कहना है कि वह तो चुनावों में ड्यूटी भी करते रहे हैं। उनके पास सारी वोटर लिस्टें भी हैं। वह अब प्रोफेसर नहीं बल्कि चुनाव अफसर बन कर गांवों में जा रहे हैं और लोगों को उनकी वोट का महत्व समझा रहे हैं। उन्हें समझा रहे हैं कि सरकार किस तरह से लोगों का शोषण कर रही है। किस तरह से घर-घर नौकरी और रोजगार की गांरटी का दंभ भरने वाली पंजाब सरकार रोजगार देने के बजाय छीन रही है।
परगट मिले पर नहीं माने प्रोफेसर
हालांकि परगट सिंह ने गेस्ट फैकल्टी सहायक प्रोफेसरों से मुलाकात की और उनका मसला जल्द हल करने का आश्वासन भी दिया पर प्रोफेसर नहीं मानें। उनका कहना था कि जब तक सरकार लिखित में आदेश नहीं करती वह अपना धरना नहीं उठाएंगे औऱ गांवों में प्रचार इसी तरह से जारी रखेंगे। प्रोफेसरों का सबसे ज्यादा गुस्सा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार से है।
उनका कहना है कि वही सारे पंगे की जड़ हैं और परगट सिंह उनके साथ मिले हुए हैं। इसी कारण वह परगट के किसी आश्वासन पर भरोसा नहीं करते। इससे पहले भी कई वादे करके सरकार मुकर चुकी है। उन्होंने कहा कि इतनी बार सरकार वादे करके मुकर चुकी है कि अब उनका सरकार से विश्वास तक उठ चुका है और ठंडी रात में शिक्षा मंत्री के घर बाहर खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग के सचिव ने महिलाओं के लिए प्रसूति छुट्टी का आदेश जारी किया था लेकिन अपने आप ही चुपचाप उसे वापस ले लिया। उन्हें प्राध्यापकों के लिए हुई परीक्षा में पहले पांच नंबर उनके कालेजों में सेवाओं को देखते हुए देने का फसला हुआ था लेकिन उसे भी सरकार ने वापस ले लिया।
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