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बेटे और भतीजे के साथ झारखंड से अमृतसर अफीम तस्करी कर रही महिला को कमिश्नरेट पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनसे सूमो गाड़ी की दो स्टेपनी (अतिरिक्त टायर) में छुपाकर रखी 26 किलो अफीम बरामद की गई है। पुलिस ने तीनों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। अब उनसे झारखंड में उन्हें अफीम देने वाले स्मगलर व अमृतसर में उनसे डिलीवरी लेने वाले के बारे में पूछताछ की जा रही है।
मुखबिरी मिलने पर लगाया था नाका
पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने बताया कि CIA स्टाफ-1 के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर हरमिंदर सिंह को सूचना मिली थी कि कुछ तस्कर सिल्वर रंग की सूमो नंबर JH05AP8753 में बड़ी मात्रा में अफीम की डिलीवरी देने अमृतसर जा रहे हैं। इसके बाद ACP मेजर सिंह की अगुवाई में पुलिस टीम ने परागपुर में नाकाबंदी कर दी। वहीं पर इस सूमो को रोका गया। चेकिंग करने पर सूमो की दो स्टेपनी (अतिरिक्त टायर) के भीतर प्लास्टिक के 26 बैग में यह 26 किलो अफीम भरी गई थी। पुलिस टीम ने तुरंत सूमो सवार पूनम देवी राव निवासी जमशेदपुर व उसके बेटे कृष्णाराव और उसके भतीजे राजा कुमार भगत निवासी ईस्ट सिंहभूम झारखंड को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ थाना कैंट में NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
छह महीने से कर रहे नशे का कारोबार
पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर ने बताया कि पूनम देवी राव पिछले छह महीने से बेटे कृष्णाराव व भतीजे राजा के साथ मिलकर झारखंड से अमृतसर अफीम की तस्करी कर रही थी। उन्हें झारखंड का स्मगलर यह अफीम देता था। पूनम राव का बेटा कृष्णा 12वीं में पढ़ रहा है जबकि भतीजा राजा भगत समोसे-पकौड़े की बिक्री करता है।
शक न हो, इसलिए परिवार का सहारा
पूनम देवी राव ही अफीम तस्करी गिरोह की सरगना है। वह अपने बेटे व भतीजे को भी इस धंधे में उतार लाई। उसने ऐसा इसलिए किया, ताकि गाड़ी में पूरा परिवार हो। अगर पुलिस कहीं जांच भी करती तो वो अपने दस्तावेज दिखाकर बच जाते थे कि यह असली परिवार है। इसी वजह से वो तीनों एक साथ अफीम पहुंचाने के लिए आते थे।
अंगूठा छाप से बनी तस्करी की मास्टरमाइंड, प्रति किलो 10 हजार कमाई
पुलिस की शुरूआती पूछताछ में पता चला कि झारखंड के ड्रग स्मगलर से एक किलो अफीम पहुंचाने के बदले उन्हें 10 हजार रुपए मिलते थे। पूनम देवी राव का परिवार गरीब तबके से है, इस वजह से पैसे कमाने के लिए वह तस्करी की मास्टरमाइंड बन गई। पूनम अनपढ़ है।
चालाकी से ही पकड़े गए
गाड़ी की स्टेपनी के अंदर अफीम छुपाकर तस्करी करने की चालाकी से ही यह गिरोह पकड़ा गया। शुरूआत में पुलिस को भी तलाशी के दौरान अफीम ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि गाड़ी में कहीं कुछ नहीं था। हालांकि एक की जगह दो स्टेपनी देख पुलिस टीम का माथा ठनका क्योंकि अमूमन गाड़ी में एक ही स्टेपनी रहती है, इसी वजह से पुलिस ने उन्हें खोलकर चैक किया तो अफीम बरामद हो गई।
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