सिविल अस्पताल की मोर्चरी में बीते 15 दिनों से तीन ऐसी लाशें पड़ी हैं, जो मोक्ष के इंतजार में हैं। इन तीनों मृतकों का पोस्टमार्टम करना है। इसके लिए पुलिस के पास या तो कार्रवाई करने का समय तक नहीं या फिर हदबंदी की उलझन में पड़ी है। अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक यह शव जिन इलाकों से आए हैं, उन थानों को अस्पताल प्रशासन ने 3-3 रिमाइंडर दिए हैं।
इसके बावजूद पुलिस पोस्टमार्टम कराने नहीं आ रही। अस्पताल अधिकारियों का मानना है कि पुलिस को पत्र के अलावा फोन कॉल कर इन लाशों का पोस्टमार्टम करवाने के लिए कहा है। इसके बावजूद वह रूचि नहीं दिखा रहे। फोन कॉल पर अकसर यही जवाब मिलता है कि उनके पास अभी समय नहीं है। ऐसे में अब इन तीनों लाशों की बेकद्री हो रही है तो पुलिस की घटिया कारगुजारी का सबूत भी देखने को मिल रहा है।
अगर 15 दिन तक किसी शव का पोस्टमार्टम न हो तो मौत के असली कारणों का पता लगाना हो सकता है मुश्किल
डॉक्टरों के मुताबिक 72 घंटे तक शव का पोस्टमार्टम हो तो मौत के कारणों का पता लगाया जा सकता है। शव के शरीर पर अगर कोई चोट या अन्य अप्राकृतिक निशान हो तो उसकी जांच में भी आसानी रहती है। 15 दिन तक अगर किसी शव का पोस्टमार्टम न हो तो मौत के असली कारणों का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। इतने दिनों तक बिना किसी कारण पोस्टमार्टम न कराना शव की बेकद्री है, लेकिन पुलिस इन बातों को नहीं मानती। अज्ञात शव मिलने के मामले में पुलिस अकसर रुचि नहीं दिखाती। कारण है कि पुलिस को अज्ञात शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए भारी-भरकम कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है तो शव की पहचान कराने के लिए भी मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार पर आने वाला खर्च भी कई बार पुलिस को खुद की जेब से करना पड़ता है। इसके कई महीने बाद उनको विभाग की तरफ से पैसा मिलता है।
यहां से बरामद हुए थे शव
रिकॉर्ड के मुताबिक थाना डिवीजन 2 इलाकों से दो शव मिले हैं। इसमें से 1 शव पहली जुलाई को मिला, पुलिस ने उसे अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। वहीं, दूसरे व्यक्ति की भी एक जुलाई को सिविल अस्पताल में मौत हुई। यह व्यक्ति पुलिस को 17 जून को अज्ञात हालत में सड़क पर मिला था। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। दोनों ही शवों की पहचान नहीं हो पाई। साहनेवाल के पास गांव गोबिंदगढ़ से 2 जुलाई की रात एक व्यक्ति का शव मिला था। उसकी पहचान रामपुकार पाल के तौर पर हुई। मृतक के परिजनों का कुछ पता नहीं चल पाया। इस कारण थाना फोकल पॉइंट पुलिस ने शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया।
सिविल अस्पताल में 2 शव पिछले 15 दिनों से पड़े हैं, इस बारे में जानकारी ही नहीं। हो सकता है कि दूसरे थानों के इलाकों में किसी अज्ञात को कोई सिविल अस्पताल छोड़ गया हो, जहां उसकी मौत हो गई हो। ऐसे मामले में हदबंदी चाहे किसी भी थाने की हो, डिवीजन 2 के अधीन सिविल अस्पताल आने के चलते कार्रवाई हमें ही करनी पड़ती है। मामले की जांच करवाता हूं। अगर हल न निकला तो पोस्टमार्टम करा संस्कार कराया जाएगा।
-सतपाल, एसएचओ, थाना डिवीजन दो
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