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(गगनदीप रत्न)
जमालपुर इलाके में किडनैप हुए दो बच्चों की शिकायत पुलिस ने नहीं लिखी और एक बार आरोपी को पकड़ने के बाद छोड़ दिया, लेकिन मामला बढ़ने पर आरोपी से पूछताछ पर 2 बच्चों को रिकवर किया, मगर असलियत में पुलिस रिकॉर्ड में पिछले 7 सालों से 319 बच्चे गायब हैं, जिनका कुछ अता-पता ही नहीं। ये हालात तब हैं, जब एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग महकमे में एसीपी स्तर के दो नोडल अफसर और तीन इंचार्ज बदल गए। मगर बच्चों की रिकवरी नहीं हो पाई। आंकड़ों की बात करें तो 2013 से फरवरी 2020 तक पूरे पंजाब से 8432 बच्चे गायब हुए, जिनमें से 6941 को पुलिस ने रिकवर कर लिया। जबकि 1491 बच्चे अभी तक नहीं मिले। पूरे पंजाब में से गायब हुए इन बच्चों में से सबसे ज्यादा संख्या लुधियाना की है।
2015 में बच्चों की किडनैपिंग के मामलों को गंभीरता से देखते हुए पूरे पंजाब में बच्चों के मामलों को लेकर नोडल अफसर नियुक्त किए गए थे। तब एसीपी दीपक हिलोरी को नोडल अफसर तैनात किया गया था। इसमें शहर में बच्चों की तस्वीरों वाले बोर्ड लगाकर उन्हें ढूंढने का काम शुरू किया था। हालांकि 180 बोर्ड लगाने थे, लेकिन सिर्फ 32 बोर्ड ही लग पाए थे। यही नहीं सोशल मीडिया पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के नाम से पेज भी बनाया गया था, लेकिन अफसर बदलते ही दो महीने बाद पेज डी-एक्टिवेट कर दिया गया, जहां अब पांच सालों से एक भी अपडेट नहीं किया। उन दिनों में इन्हीं की मदद से करीब 40 बच्चे रिकवर करके दिए थे।
लोग काटते रहे चक्कर: 2013 से पहले बच्चों के लापता होने के मामले में पुलिस पीड़ित पक्ष को थानों के चक्कर कटवाती थी, लेकिन एफआईआर नहीं लिखी जाती थी। पुलिस थानों का रिकॉर्ड खराब होने से डरती थी। कुछ मामलों में तो सिर्फ खाली सादे पेपर गुमशुदगी लिखी जाती थी, मगर कार्रवाई कोई नहीं हुई। 2013 में बचपन बचाओ आंदोलन की डायरेक्टर और बाकी संस्थाओं सीनियर एडवोकेट एचएस फूलका से संपर्क किया। इसके बाद कोर्ट में केस दायर किया तो कोर्ट ने पुलिस को नोटिस कर 24 घंटे में लापता और किडनैपिंग के पर्चे दर्ज करने के आदेश दिए थे। फिर एक-एक दिन में हजारों पर्चे दर्ज किए गए थे। मगर उसके बाद पुलिस ने मामला फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया।
बच्चों के लापता होने के मामले को गंभीरता से लेकर बचपन बचाओ आंदोलन की डायरेक्टर संपूर्णा और बाकी संस्थाओं ने मुद्दा उठाया था। मैंने कोर्ट में केस पर बहस की थी। फिर सुप्रीम कोर्ट ने कई स्टेट्स की पुलिस को नोटिस कर 24 घंटे में पर्चा दर्ज करने के आदेश दिए थे और वो हुआ भी। -एचएस फूलका, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट
^विभाग को पूरा रिकॉर्ड निकाल बच्चों को ढूंढने के लिए कहा है। पिछले दिनों यहां रहे एडीसीपी क्राइम हरीश दयामा ने इसपर वर्किंग कर कई बच्चों को ढूंढा और उनके परिवारों तक पहुंचाया था। बाकी बचे 319 के करीब बच्चों को भी जल्द ट्रेस कर लिया जाएगा। -राकेश अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर
इधर, किडनैपर को मंदबुद्धि बता छोड़ने की जांच जॉइंट सीपी को सौंपी
तीन बच्चों का अपहरण करने वाले आरोपी कृष्णा को 24 सितंबर को भी पकड़ा गया था, लेकिन मानसिक रोगी समझकर छोड़ दिया गया। नतीजतन उसका हौसला खुल गया और उसने किडनैपिंग का सिलसिला जारी रखा। मगर इस मुद्दे के उठते ही सीपी राकेश अग्रवाल ने जॉइंट सीपी कंवरजीत कौर को इंवेस्टिगेशन मार्क की है कि कैसे थाना लेवल पर गलती हुई और उसे किसने छोड़ा था। पुलिस ने आरोपी को रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस को आशंका है कि आरोपी ने कई और बच्चों के अपहरण भी किए हो सकते हैं, फिलहाल पड़ताल की जा रही है।
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