शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधाओं का खासा अभाव है। सूबे के सबसे बड़े नगर निगम लुधियाना में इस समय की सिटी बस सर्विस इस समय लगभग दम तोड़ चुकी है। अभी सिर्फ तीन रूट बस स्टैंड से साहनेवाल, बस स्टैंड से जालंधर बाईपास और बस स्टैंड से कोहाड़ा रूट पर ही 35-36 छोटी बसें चल पा रही हैं। जिस ठेकेदार को निगम ने कॉन्ट्रेक्ट दिया है, उसने निगम को फंड भी नहीं दिया। इसे लेकर ऑर्बिटेशन में केस लंबे समय से चल रहा है।
ऐसे में शहर की सबसे बड़ी जरूरत सिटी बस सर्विस का आम जनता को पूरा लाभ शुरू से लेकर आज तक नहीं मिल पाया है। ऐसे में अब नगर निगम की तरफ से सिटी बस सर्विस को नए सिरे से चलाने के लिए कुछ नई प्लानिंग शुरू कर दी है। एडिशनल कमिश्नर आदित्य डेचलवाल ने पुष्टि कर कहा कि उनकी तरफ से चंडीगढ़ सिटी बस को लेकर स्टडी की जाएगी और वहां के मॉडल को अडॉप्ट किया जाएगा, ताकि शहर में भी सिटी बस सर्विस को चंडीगढ़ की तरह सफल बनाया जा सके।
निगम ने कॉन्ट्रेक्टर पर निकाला 5 करोड़ का बकाया, कोर्ट में चल रहा केस
कॉन्ट्रेक्टर का ठेका जनवरी 2024 में खत्म होने जा रहा है। इस दौरान कॉन्ट्रेक्टर के पास निगम ने 83 बसें हैंडओवर की हैं। इसका हालांकि रेवेन्यू निगम के पास अभी आया नहीं। ठेकेदार की तरफ से भी बसें पूरी नहीं चलाई जा रहीं। सिर्फ छोटी बसें ही चुनिंदा रूटों पर चलाई जा रही हैं। सिटी बस सर्विस सही से चल ना पाने के कारण शहर में ऑटो की भरमार है, जोकि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वहीं, ये भी देखने को मिल रहा है कि कंडम ऑटो बंद करवा दिए गए थे, वो ऑटो भी दोबारा सड़क पर दौड़ते नजर आने लगे हैं।
सबसे ज्यादा हैरानी इस बात की है कि रेलवे स्टेशन रोड, घंटाघर समेत अन्य कई रूटों पर आम वाहन कम ऑटो सबसे ज्यादा दौड़ते हैं। इस कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। कारण यही है कि शहर की सिटी बस सर्विस को नगर निगम सही से चला ही नहीं पाया है। बता दें कि निगम की तरफ से कॉन्ट्रेक्टर को 83 बसें हैंडओवर की थी, उनमें 40 छोटी और 43 बड़ी बसें हैं। बड़ी बसों को तो रूटों पर उतारा ही नहीं गया है, जबकि सिर्फ छोटी 35-36 बसें ही तीन रूटों पर चलती नजर आती हैं। वहीं, ये भी बात सामने आई है कि कॉन्ट्रेक्टर पर निगम की तरफ से 5 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया निकाला गया है। इसे लेकर अभी केस चल रहा है।
37 कंडम बसें बेचने की मिली मंजूरी
बता दें कि निगम के बाड़े में 37 बसें तो बिना चले ही कंडम हो चुकी हैं। इनको बेचने के लिए पिछली एफएंडसीसी की मीटिंग में प्रस्ताव मंजूर किया जा चुका है। इन बसों को बेचने के लिए निगम की तरफ से आवेदन मांगे जा रहे हैं। इसके बाद इन 37 बसों को स्क्रैप रेट पर बेचा जाएगा। बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से स्क्रैप पॉलिसी भी जारी की जानी है और उसी पॉलिसी के लागू होने पर उसी नियमों के अनुसार 37 बसों को निगम की तरफ से स्क्रैप के रेट पर बेचा जाएगा।
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