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प्रशासन की नालायकी के चलते ही अस्पताल के जच्चा बच्चा इमरजेंसी के बाहर पार्क में ही एक महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। डिलीवरी भी पार्क में बैठी महिलाओं ने कराई। दोनों बच्चों के जन्म में तकरीबन 10 मिनट लगे लेकिन इस दौरान अस्पताल का कोई भी स्टाफ या डॉक्टर बाहर नहीं आ पाया। नवजात बच्चों में एक लड़की है तो दूसरा लड़का।
दोनों ही बच्चों का वजन 1 किलो से कम है। हालत नाजुक बता सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने दोनों ही बच्चों को पीजीआई रेफर कर दिया है। अब बच्चों के पिता संतोष कुमार उनको लेकर पीजीआई अस्पताल में हैं तो बच्चों की मां उमा देवी सिविल अस्पताल में भर्ती है। उमा देवी धूरी लाइन के पास मनोहर नगर की रहने वाली है। दरसअल स्टाफ नर्स ने गर्भवती का सीएमसी से ईको कराने के लिए कहा। संतोष ने बताया कि उनके साथ न तो कोई स्टाफ भेजा और न ही एंबुलेंस मुहैया कराई। वे खुद ही पत्नी को लेकर बिल्डिंग से बाहर निकले तो पार्क में ही डिलीवरी हो गई।
स्टाफ बोला-होता है दर्द, पति लौटा तो हो चुकी थी डिलीवरी- संतोष के मुताबिक संतोष कुमार ने बताया कि गर्भवती के आठवें महीने में काफी कमजोरी होने से बुधवार को डाॅक्टरों ने सिविल अस्पताल में भर्ती कर लिया। वीरवार को वह पत्नी को लेकर सीएमसी जाने लगा तो उमा देवी को तेज दर्द होने लगा। दर्द ज्यादा होने पर उसने उमा देवी को पार्क में बैठा दिया और खुद स्टाफ को बुलाने चला गया। संतोष के मुताबिक स्टाफ ने जवाब दिया कि ऐसा दर्द गर्भ के दौरान अक्सर होता है ये कोई बड़ी बात नहीं। जब वह बाहर आया तो उसने देखा कि पार्क में उसकी पत्नी बच्चे को जन्म दे चुकी थी। 4.20 मिनट पर बेटी और उसके पांच मिनट बाद बेटे को जन्म दिया।
बाहर से टेस्ट कराने की जिम्मेदारी अस्पताल की- नियमों की बात करें तो अस्पताल में भर्ती मरीज के बाहरी अस्पताल से टेस्ट करवाने की जिम्मेदारी अस्पताल की होती है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन मरीज को सरकारी एंबुलेंस में स्टाफ के साथ भेजता है। अस्पताल की एंबुलेंस के स्टाफ ने बताया कि उनको महिला के सीएमसी में टेस्ट करवाने जैसी कोई भी कॉल नहीं आई। एंबुलेंस ड्राइवरों का कहना है कि जिस समय महिला की डिलीवरी हुई है उस समय वे अस्पताल में ही थे।
सिविल में होती है ईको, फिर क्यों भेजा सीएमसी, जांच होगी- मामला मेरी जानकारी में आया है। वीरवार के दिन सिविल अस्पताल में ईको भी होती है फिर मरीज को सीएमसी क्यों भेजा जा रहा था। फिलहाल बच्चों को पीजीआई रेफर किया गया है जबकि उनकी मां सिविल अस्पताल में भर्ती है। -अमरजीत कौर, एसएमओ
अस्पताल प्रशासन एंबुलेंस मांगता तो हम जरूर भेज देते
जच्चा बच्चा अस्पताल के मरीजों के लिए हम बिना एंट्री किए ही तुरंत एंबुलेंस भेज देते हैं। एंट्री में लगने वाले समय को बचाते हुए वह मरीज को शिफ्ट करने के बाद उसकी एंट्री वाली फॉर्मेलिटी करते हैं। अगर अस्पताल हमसे एंबुलेंस की मांगता तो हम तुरंत भेज देते।
-जसप्रीत सिंह, मैनेजर संवेदना ट्रस्ट
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