पंजाब के लुधियाना शहर में नूरवाला रोड पर बेहद अमानवीय मामला सामने आया है। मुस्लिम समुदाय की 6 महीने की बच्ची का शव कब्रिस्तान में दफनाया गया था, लेकिन 4 घंटे बाद ही वक्फ बोर्ड के अधिकारियों और पुलिस ने शव को जमीन से निकलवा लिया। यही नहीं आदेश भी दिया कि इसे कहीं और जाकर दफनाया जाए। परिवार ने इस हरकत का विरोध जताते हुए इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताया है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि यह कब्रिस्तान की जमीन है और यहां पर पिछले 50 साल से मुस्लमान भाइयों को दफनाया जा रहा है। मगर इस कब्रिस्तान पर कुछ अन्य लोग कब्जा करना चाहते हैं और इसी मंशा से यहां पर अब इंतकाल नहीं करने दिया जा रहा है। 2 दिन पहले 6 माह की बच्ची उमे कुलसोम की मौत हो गई थी, जिसे दफनाने के लिए परिवार के सदस्य नूरवाला रोड स्थित कब्रिस्तान में गए थे।
बच्ची को वहां दफना दिया गया था। तभी वक्फ बोर्ड के अधिकारी वहां पहुंचे और उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करवाने की धमकी देकर बच्ची के शव को जमीन से बाहर निकलवा दिया और कहा कि इसे कहीं और दफनाया जाए। मुस्लमान परिवार का कहना है कि यह उनके धर्म के खिलाफ है और अफसरों ने यह यह बेहद बड़ा गुनाह किया है। इस हरकर ने उनकी धार्मिक भावनाएं आहत की हैं।
कब्रिस्तान की जगह को लेकर विवाद
जाम्यातुर राशत बड़ा कब्रिस्तान के प्रधान अब्दुल मलिक त्यागी कहते हैं कि इस कब्रिस्तान में 5 दशक से कब्रें बनी हैं। मगर वक्फ बोर्ड के अधिकारी बाहुबलियों के आगे नतमस्तक होकर उन्हें यह जमीन सस्ते भाव में लीज पर दे रहे हैं। इसके विरोध में अदालत में केस किया गया था, जो कुछ समय पहले उनके हक में आया। मगर वक्फ बोर्ड के कुछ अधिकारी उन्हें यहां पर अपने अंतिम रस्में नहीं करने दे रहे हैं। अब वह इस मामले को भी अदालत में लेकर जाएंगे।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पास पहुंचा मामला
वक्फ बोर्ड के अधिकारियों द्वारा बच्ची के शव को इंतकाल के 4 घंटे बाद कब्र से बाहर निकालने का मामला राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पास पहुंचा है। नूरवाला रोड निवासी अब्दुल मलिक त्यागी ने आयोग को शिकायत देकर इस मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड के अधिकारी ही उन्हें परेशान कर रहे हैं।
धार्मिक भावनाएं आहत करने का दर्ज हो मामला
इस घटनाक्रम पर पंजाब के शाही इमाम शाही इमाम मौलाना मोहम्मद उस्मान लुधियानावी का कहना है कि कब्र को खुदवाना धर्म के खिलाफ है। ऐसा करके मुस्लमान समाज की धार्मिक भावनाएं आहत की गई हैं। यह बेहद संजीदा मामला है। मैंने खुद पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि ऐसा करवाने वाले भले वह कोई भी हों, उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला दर्ज होना चाहिए। नहीं तो मुस्लिम बरादरी चुप नहीं बैठेगी।
वक्फ बोर्ड अधिकारियों ने आरोपों को नाकारा
वक्फ बोर्ड के स्टेट अफसर मुहम्मद आयूब का कहना है कि उनके ऊपर लगाए जा रहे आरोप झूठे हैं, हमने किसी तरह से भी वहां पर कार्रवाई नहीं की है। कबिरस्तान कमेटी और एक अन्य व्यक्ति के बीच का झगड़ा है। हम तो वहां पर गए ही नहीं थे।
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