लुधियाना के खूनी पुल पर लगा स्पीड रडार मीटर:तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने पर कटेगा चालान, इस जगह एक साल में हुई 4 मौतें

लुधियाना3 महीने पहले
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वाहनों की रफ्तार चैक करते ट्रैफिक कर्मचारी। - Dainik Bhaskar
वाहनों की रफ्तार चैक करते ट्रैफिक कर्मचारी।

पंजाब के लुधियाना में जगराओं पुल से जालंधर बाइपास की ओर जाने वाले एलिवेटेड फ्लाईओवर कई लोगों की जिंदगियां लील चुका है। इसे देखते हुए अब ट्रैफिक पुलिस द्वारा इस पुल पर स्पीड रडार मीटर लगा दिया गया है। इस पुल पर करीब 4-5 लोगों की मौत एक साल में हो चुकी है।

बताया जा रहा है कि हफ्ते में करीब 3 से 4 दिन इसी पुल पर स्पीड रडार मीटर लगाया जाएगा, ताकि तेज रफ्तार वाहन चालकों पर कार्रवाई हो सके। पुल पर कार चालक 40 किलोमीटर की स्पीड से चला सकते हैं, लेकिन ड्राइवर यहां स्पीड 40 से अधिक रखते हैं। ऐसे में अब 60 से अधिक स्पीड होने पर स्पीड मीटर उसे तुरंत नोट कर लेगा।

डिजीटल मीटर में वाहनों की स्पीड नोट होती।
डिजीटल मीटर में वाहनों की स्पीड नोट होती।

इस पुल पर पिछले 2 वर्ष में करीब 10 से 15 लोग घायल हो चुके है। इस पुल को खूनी पुल भी इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि जब ये बना था उस समय इसकी साइडें कवर नहीं थी, जिस कारण तकरीबन 1 महीने में 4 से 6 लोग पुल से नीचे गिरने पर मर जाते थे। लगातार बढ़ रहे हादसों के बाद समाज सेवी संस्थाओं ने इस पुल पर लोहे की चादरें लगवाकर कवर करवाया।

एलिवेटेड पुल पर लगा स्पीड रडार मीटर।
एलिवेटेड पुल पर लगा स्पीड रडार मीटर।

ओवर स्पीड पर 3 महीने के लिए लाइसेंस रद्द
बता दें कि ओवर स्पीड पर वाहन चालक का यदि चालान होता है तो कानूनी तौर पर उसका तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाता है। वह व्यक्ति तीन महीने किसी भी तरह का वाहन चला नहीं सकता। इसके बाद चालक को ट्रांसपोर्ट विभाग से ट्रैफिक नियमों की ट्रेनिंग लेनी पड़ती और फिर किसी भी स्कूल में 20 बच्चों को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाना पड़ेगा।

बच्चों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करना होगा। जिस स्कूल में वह ट्रेनिंग देगा, उस स्कूल का नोडल अफसर सर्टिफिकेट देगा। इसके बाद ही वह व्यक्ति फिर से वाहन चलाने के लिए मान्य होगा।

सड़क हादसों में लुधियाना 5वें नंबर पर
लुधियाना शहर 2021 में हुए सड़क हादसों के मामले में देश में 5वें नंबर पर है। NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के मुताबिक शहर की मृत्यु दर 77.2 प्रतिशत रही। वर्ष 2020 की तुलना में लुधियाना में मृत्यु दर में 4.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात का राजकोट 92.9 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है। हरियाणा का फरीदाबाद 90.9 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है, उसके बाद छत्तीसगढ़ का रायपुर (89 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल का आसनसोल (86.7) है।

लुधियाना में 2021 में 478 सड़क हादसे हुए, जिसमें 380 लोगों की जान गई। वहीं 169 लोग घायल हुए। शहर में हर महीने लगभग 40 सड़क हादसे हुए। हर महीने 31 लोगों की मौत हुई

वाहनों की अधिक रफ्तार हादसों का मुख्य कारण
लुधियाना में 2020 में 388 सड़क हादसे हुए थे, जिसमें 281 लोगों की मौत हुई थी। मृत्यु दर 72.42 प्रतिशत थी, जबकि 2019 में मृत्यु दर 69.39 प्रतिशत थी। 2019 में 526 सड़क हादसों में कुल 365 लोगों की मौत हुई थी। ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों के एक अध्ययन के अनुसार, वाहनों की अधिक रफ्तार दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण है।

ट्रैफिक पुलिस ने शहर में 45 ब्लैक पॉइंट्स की पहचान की थी, लेकिन इन पॉइंट्स पर मौत के कारणों को सुधारने के लिए कोई खास योजना या प्रयास नहीं किया गया। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई ने कहा कि कानून लोगों को सबक सिखाने में विफल हो रहा है।

लोगों को पकड़े जाने या फटकारने का कोई डर नहीं है। पुलिस हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने पर चालान तो कर रही है, लेकिन शराब पीकर गाड़ी चलाने और तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने पर उन्हें सजा देने में नाकाम रही है, जो सड़क हादसों के पीछे प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि पुलिस यातायात नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रही है।

हाईवे पर ज्यादा हादसे
ट्रैफिक के सीनियर अधिकारियों के मुताबिक पुलिस सड़क हादसों को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा कि सबसे घातक सड़क दुर्घटनाएं राजमार्गों पर हुई हैं। शहर में ऐसी कोई बड़ी सड़क दुर्घटना नहीं हुई है। शहर के भीतरी इलाकों में दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट न पहनना हादसों का एक बड़ा कारण है।