गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को मनाई जाएगी। इसके लिए गणपति की मूर्तियों की बिक्री और त्योहार की अन्य तैयारियां शुरू हो गई हैं। भगवान गणेश की छोटी-बड़ी मूर्तियां भक्तों को मोहित कर रही हैं। मंदिरों के शहर में ईको फ्रेंडली गणेश उत्सव मनाने के लिए शहरवासियों को जागरूक किया जा रहा है। मूर्तिकार ने बताया कि इस साल अधिकतर ईको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। इनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। मिट्टी की बनी ईको फ्रेंडली मूर्तियों से पर्यावरण संरक्षण हो रहा है। कलाकार मिट्टी की बनी प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।
भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्ति को लोग टब या बर्तन में प्रतिमाओं को विसर्जित करने के बाद पौधों में मिट्टी डाल सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ लुधियानवी ईको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां बनाना सीख रहे हैं। लोग ईको फ्रेंडली गणेश बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे। बच्चे भी छोटी छोटी मूर्तियां बनाना सीख रहे हैं, जो उनके लिए खास तरह का अनुभव है।
पीओपी से बनी मूर्तियां पर्यावरण के लिए नुकसानदायक
धार्मिक संस्थाओं का कहना है कि पीओपी से बनी गणेशजी की मूर्तियां पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हैं। इसे देखते हुए सभी को घर में मिट्टी से बनी गणेशजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। यह पानी में आसानी से घुल जाती हैं। जबकि पीओपी की मूर्ति पानी में घुलती नहीं है। इससे एक तरह से भगवान का अनादर भी होता है। ऐसा नहीं है कि बाजार में इको फ्रेंडली मूर्तियां बिक रही हैं तो उनकी कलाकारी में कोई कमी आई है। बल्कि एक से बढ़कर एक सुन्दर डिज़ाइन तैयार किए जा रहे हैं। ऐसे में छोटी से लेकर बड़ी मूर्तियां तक आकर्षण का केंद्र बन रही हैं।
घर पर ऐसे बना सकते गणपति
चिकनी मिट्टी लेकर पानी का इस्तेमाल कर इसे गूथ लें। अब इसके अलग- अलग टुकड़े तोड़कर शरीर के पार्ट्स बना लें। एक टुकड़े से मूर्ति का बेस बनाएं और फिर हाथ, पैर, सूंड, धड़, कान, और चेहरा बनाएं। फिर सब को जोड़ लें। छोटे टुकड़े से बनाए गए सिर को धड़ से जोड़ें। चिकनी मिट्टी से कर्व शेप में सूंड बनाएं और चेहरे के बीचों-बीच इसे जोड़ दें। गणपति मूर्ति के लिए हाथ बनाएं और इन्हें धड़ के दोनों तरफ जोड़ें। इसके बाद छोटी- छोटी बॉल शेप से आंखें और कान बनाकर चेहरे पर लगा दें।
-भारती सचदेव, समाजसेवी
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