पाकिस्तान से सटे पंजाब के आखिरी गांव दोना तेनू मल में अब राजनेताओं की एंट्री बैन हो गई है। गांववासियों ने इसके लिए गांव की एंट्री पर बोर्ड भी लगा दिए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि सरहदी गांव होने के चलते यहां सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है। सरकार अगर उनकी मांगें नहीं मानती है तो वह आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 का बहिष्कार करेंगे।
गांव में न तो पोलिंग बूथ बनने दिया जाएगा और न ही कोई वोट डालने जाएगा। अगर सरकार चाहती है कि गांव चुनाव में हिस्सा ले तो पहले हमारी मांगें पूरी करनी होंगीं। ग्रामीणों ने यह भी ऐलान कर दिया गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपने घर पर किसी नेता को बुलाता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार तो होगा ही, नेता का उसके घर पर भी विरोध किया जाएगा। इसके लिए नेता खुद जिम्मेदार होंगे।
बॉर्डर पर आखिरी गांव है दोना तेनू मल
दोना तेनू मल गांव पाकिस्तान से लगते बॉर्डर पर ममदोट से कुछ ही दूरी पर स्थित प्रदेश का आखिरी गांव है। यहां की आबादी करीब 600 है और 500 यहां की वोट है। गांव के लोग कहते हैं कि सरकारें उन्हें मूलभूत सुविधाएं ही नहीं दे पाई है। पीने लायक शुद्ध पानी नहीं है। बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रबंध नहीं है। सेहत सुविधाएं भी पूरी तरह से नहीं हैं। उनका जीवन खेती पर ही निर्भर करता है। हम बॉर्डर पर हैं, जो दुश्मन से लोहा लेना तो जानते हैं तो अपने हकों के लिए संघर्ष करना भी अच्छी तरह से जानते हैं।
भाकियू एकता सिद्धूपुर की अगुवाई में चल रहा संघर्ष
गांव के लोग भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर की अगुवाई में संघर्ष में जुटे हुए हैं। स्थानीय इकाई के अध्यक्ष जगरूप सिंह बराड़ कहते हैं कि पहले मंत्रियों और विधायकों के आने पर काजू बदाम और मिठाइयां रखते थे। मगर संयुक्त किसान मोर्चा से मिली जागरुकता के कारण अब लोग नेताओं को चाय नहीं सवाल पूछते हैं। जो पूछने बनते भी हैं। क्योंकि वोट लेने के बाद यह नेता उनके पास आते ही नहीं हैं। अभी तो दोना तेनू मल में ही यह आवाज उठी है। आने वाले दिनों में हम इसे दूसरे सरहदी गांवों में भी लेकर जाएंगे।
पूरे गांव का फैसला, सभी पार्टियों के नेताओं की एंट्री बैन
पंचायत सदस्य कंधारा सिंह कहते हैं कि यह पूरे गांव का फैसला है। उनके गांव में कांग्रेस, अकाली दल, बसपा, भाजपा, आप सभी पार्टियों के नेताओं की एंट्री बैन है। यहां आने वाला नेता उसके होने वाले घेराव का खुद जिम्मेदार होगा। नेताओं ने हमारा कभी कुछ नहीं संवारा है। इस लिए अब चुनाव का बॉयकॉट भी होगा और नेताओं से सवाल भी पूछे जाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने दिया है बॉयकॉट का आह्वान
संयुक्त किसान मोर्चा कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए पिछले 8 माह से दिल्ली बॉर्डरों पर संघर्ष कर रहा है। अब तक 600 किसानों की मौत हो चुकी है, जिन्हें शहीद का दर्जा दिया गया है। चुनाव नजदीक हैं तो सभी पार्टियों के नेता अपनी बात रखने लोगों के बीच जा रहे हैं। इसी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया है कि गांवों में आने वाले सभी नेताओं से सवाल पूछे जाने चाहिएं कि उनकी पार्टी ने कृषि कानूनों का विरोध क्यों नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रजिंदर सिंह दीप सिंह वाला कहते हैं कि यह आगाज है, अंजाम भी जल्द सामने आने लगेंगे।
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