पंजाब के गांवों टैलेंट भरा पड़ा है। इसीलिए होनहार खिलाड़ियों की तलाश में खेल महकमे ने गांवों का रूख किया है। इसके लिए स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने पंजाब के 12 हजार 750 गांवों में करीब 300 कोच भेजने शुरू किए हैं, ताकि वह खिलाड़ियों के ट्रायल लेकर उनकी छिपी प्रतिभा को पहचानें और उन्हें मैदान में लेकर आएं। इसके लिए कोचों ने गांव के सरपंच, सरकारी स्कूलों से संपर्क किया है, ताकि होनहार खिलाड़ियों तक पहुंच बनाई जा सके।
बता दें कि खेल महकमे की तरफ से विंग भी चलाए जा रहे हैं। जरूरत के हिसाब से आगे कदम बढ़ाए जाएंगे। उधर, डायरेक्टर स्पोर्ट्स राजेश धीमान और डिप्टी डायरेक्टर स्पोर्ट्स किरपालवीर सिंह ने बताया कि अगर खिलाड़ी मैदान में नहीं आ रहे हैं तो हमें उन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि जमीनी स्तर पर जाकर खिलाड़ियों के टैलेंट की परख कर सकें। इस अभियान में समय जरूर लगेगा, लेकिन आने वाले समय में बेहतर खिलाड़ी जरूर सामने आएंगे, क्योंकि पंजाब में टैलेंट की कमी नहीं है। बस जरूरत है तो सिर्फ उनके अंदर की छिपी प्रतिभा को पहचानने की।
पहले खिलाड़ियों की सेहत, फिर मेडल पर होगा फोकस
राजेश धीमान ने बताया कि उनका फोकस सिर्फ खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद पर नहीं, बल्कि इससे ऊपर है। उनका मकसद पहले खिलाड़ियों को मैदान में लाना है और उनकी अच्छी हेल्थ पर फोकस है। अगर खिलाड़ी मैदान में आएगा तो उसकी हेल्थ अपने आप ठीक होगी और मेंटली तौर पर भी फिट होगा। अगर खिलाड़ी इस ट्रैक पर चलेगा तो मेडल अपने आप आने शुरू हो जाएंगे।
फिलहाल हो रही स्क्रीनिंग, गांवों के सरपंचों-स्कूलों से ले रहे सहयोग
खेल महमके के अफसरों के मुताबिक रोजाना उनके पास पंजाब भर से रिपोर्ट आ रही है। स्क्रीनिंग के बाद खिलाड़ी जब मैदान में आना शुरू करेंगे तो उस पर फोकस किया जाएगा कि वह मैदान में आ रहा है या नहीं। अगर वह मिस करता है तो उसे मैदान में लाया जाएगा और हरसंभव मदद भी की जाएगी। इसलिए गांव-गांव में लिए जा रहे ट्रायल में हर खिलाड़ी शामिल हो। डीएसओ लुधियाना करतार सिंह ने बताया कि 6 साल अधिक उम्र के खिलाड़ियों के ट्रायल लिए जा रहे हैं। इसे लेकर गांव के सरपंच और स्कूलों से सहयोग लिया जा रहा है। वहीं, गुरुद्वारों में भी अनाउंसमेंट करवाई जा रही है, ताकि कोई भी इससे वंचित ना रह जाए।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.