किसान आंदोलन की अगुआई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने स्पष्ट किया है कि खेती कानून वापस लिए जाने के बावजूद उनका आंदोलन जारी रहेगा। यही नहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने 22 नवंबर को यूपी के लखनऊ में महापंचायत भी बुला ली है। इसमें सभी किसान नेता पहुुंचेंगे। शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर बैठक करने वाली पंजाब की 32 किसान यूनियनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के इस फैसले का समर्थन किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 29 नवंबर से 500-500 किसानों के जत्थे ट्रैक्टरों पर संसद की तरफ कूच करेंगे। SKM नेता जगजीत सिंह राय ने कहा कि किसान नेताओं की तैयारियां जारी हैं और मोर्चा के सभी पूर्व घोषित कार्यक्रम जारी रहेंगे। राय ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने किसानों की बाकी मांगें भी नहीं मानी तो यूपी में भाजपा की घेराबंदी की जाएगी।
शनिवार दोपहर सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के 32 किसान संगठनों की अहम बैठक हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि सभी किसान जत्थेबंदियां संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत दूसरी मांगें पूरी कराने के लिए आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाया जाना है, इसकी पूरी रणनीति रविवार को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में बनाई जाएगी और इसमें पंजाब की 32 किसान यूनियनों के नेता भी शामिल होंगे।
पंजाब की 32 यूनियनों ने बनाई रणनीति
इससे पहले शनिवार दोपहर में पंजाब की सभी 32 यूनियनों ने अपनी अलग बैठक की। इसमें MSP की मांग को प्रमुखता से केंद्र सरकार के आगे रखने का फैसला लिया गया। मांगों को लेकर सरकार के समक्ष अपना पक्ष किस ढंग से रखना है?, MSP को बिल के तौर लाने और बिजली संशोधन बिल को समाप्त करने की मांग के लिए आगे आंदोलन को किस तरह चलाया जाए? इस पर किसान नेताओं ने मंथन किया।
संघर्ष जारी रखने का ऐलान कर चुका है मोर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया गया है। मगर किसान नेताओं का कहना है कि इसके साथ उनकी दो और मांगें थीं। MSP को कानून के रूप में लेकर आना और बिजली संशोधन एक्ट को रद्द करना। जब तक उनकी यह दोनों मांगें नहीं मानी जाएंगी, वे तब तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। किसान नेताओं ने तो यहां तक कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री पर यकीन नहीं है, इसलिए जब तक संसद में यह बिल रद्द नहीं कर दिए जाते, तब तक वह दिल्ली के बॉर्डर से हटेंगे नहीं।
14 महीने से चल रहा संघर्ष, 1 साल से बॉर्डर पर किसान
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का संघर्ष 14 माह से चल रहा है। किसान 1 साल से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। अब जब उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है। मगर इसके बावजूद किसान यहां से हटने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री के फैसले के बाद भी हालात बदले नहीं है और भाजपा नेताओं को चिंता सताए जा रही है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.