नहरी महकमे की जमीन पर बिना मंजूरी लिए नगर निगम ने जोन-डी दफ्तर की बैक साइड सिधवां नहर के किनारे सदर्न बाईपास एलिवेटेड पुल के नीचे वाली जगह पर नियमों को दरकिनार कर और कथित बड़े रसूखदार नेता के कहने पर साल 2018 में 250 दुकानें बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया। इस बारे में निजी कंपनी के साथ एग्रीमेंट भी कर लिया गया था। ऐसे में इस घोटाले को लेकर शिकायत लोकल बॉडीज डिपार्टमेंट और विजिलेंस महकमे के पास पहुंची। इसके बाद जांच हुई।
प्रोजेक्ट में बड़ी कमियां सामने आने पर निगम ने कंपनी के साथ एग्रीमेंट को तत्काल प्रभाव से रद्द करने के आदेश भी दिए। हैरानीजनक है कि चार साल बीत चुके हैं, परंतु अभी तक निगम ने इस मामले में एग्रीमेंट-कॉन्ट्रेक्ट कैंसिलेशन रिपोर्ट ही सबमिट नहीं की है। विजिलेंस महकमे ने कई रिमाइंडर डाल इस मामले को लेकर लिए फैसले की रिपोर्ट तलब की है। निगम इस पर कोई फैसला ही नहीं ले रहा।
ये है मामला
बीआरएस नगर में नहरी विभाग की जमीन पर नियमों को ताक पर रखकर स्मार्ट वेंडिंग जोन बनाया जा रहा था। इसकी शिकायत स्थानीय निकाय विभाग के सीवीओ के पास पहुंची। इस पर जांच के बाद सीवीओ ने इस प्रोजेक्ट को रद्द करने के आदेश दिए और निगम कमिश्नर से इस प्रोजेक्ट को अप्रूवल देने वाले अफसरों के नाम तलब किए हैं।
एफएंडसीसी मीटिंग में फिर से लाया गया प्रस्ताव लेकिन चर्चा तक नहीं की
पिछले साल मार्च 2021 में भी विजिलेंस विभाग ने रिमाइंडर डाला था। तब भी इस प्रस्ताव को एफएंडसीसी मीटिंग में रखा। इसके बाद प्रस्ताव पर कोई फैसला ही नहीं लिया। विजिलेंस विंग के पास फैसले में प्रस्ताव लंबित लिखकर भेज दिया गया। इस पर विजिलेंस ने फिर रिपोर्ट तलब की। हालांकि इस बार गत दिनों हुई एफएंडसीसी मीटिंग में प्रस्ताव को फिर से लाया गया, परंतु प्रस्ताव पर चर्चा तक नहीं हुई है। साल की पहली मीटिंग में सिर्फ एमरजेंसी प्रस्तावों को मंजूरी देने की बात कहते हुए मीटिंग को ही समाप्त कर दिया गया है। इसलिए ये ताे तय है कि कहीं न कहीं इस घोटाले को अंजाम देने वालों को अंदरखाते बचाया जा रहा है। इसी कारण विजिलेंस के पास लिए गए फैसले की रिपोर्ट तलब नहीं की जा रही है।
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