मानसून से पहले हुई बारिश के साथ ही जिले में अब डेंगू का खतरा मंडराने लगा है। हालात ये हैं कि जिले में जून माह में अभी तक किए गए सर्वे में 138 स्थानों पर डेंगू लारवा मिला है। जबकि बीते माह 51 स्थानों पर डेंगू लारवा मिला था। अब बरसातें शुरू होने से डेंगू का खतरा बढ़ गया है। बीते साल करीब 500 लोग डेंगू की चपेट में आए थे, जबकि 5 मौतें भी हुई थीं। इसलिए चलते बरसातें शुरू होते डेंगू लारवा मिलना जिलावासियों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। इसके चलते जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न ब्लॉकों में एसएमओज के साथ बैठकें की जा रही हैं, वहीं नगर कौंसिल के साथ भी संपर्क साधा गया है ताकि नगर कौंसिल कर्मी टीमों के साथ तालमेल बिठाएं।
जहां लारवा एक से ज्यादा बार मिलता है, वहां चालान काटे जाएं और विभाग के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाए। इसके अलावा नगर कौंसिल के जरिए फॉगिंग भी करवाई जाए। जिला एपिडेमोलॉजिस्ट डॉ. राकेश पाल कहते हैं कि बरसातों में डेंगू लारवा अधिक स्थानों पर मिलने की संभावना रहती है। घरों की छतों पर रखे गए सामान सहित खुले में पड़े पुराने बर्तनों में बारिश का पानी जमा हो जाता है। इसलिए लोगों को हर चौथे दिन ऐसी जगहों से जमा पानी निकालते रहना चाहिए। इस संबंध में सुज्जों में एसएमओ डॉ. हरबंस सिंह के साथ बैठक करके उन्हें भी क्षेत्र में डेंगू संबंधी जागरूक करने के लिए कहा गया है। इस दौरान उनके साथ राकेश कुमार, हरमेश लाल व राज कुमार भी मौजूद रहे। डेंगू लारवा अक्तर घरों में रखे गए एयर कूलरों, टूटे बर्तनों, फ्रिज की वेस्ट वाटर ट्रे, गमलों, खाली बोतलों के अलावा पुराने टायरों आदि में बरसाती या साफ पानी जमा होने से पनपता है। इसलिए पानी की टंकी को हर समय ढंककर रखें और उचित कीटनाशक का इस्तेमामल करें।
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