इंडियन फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियन (इफटू) ने केंद्र सरकार से 4 लेबर कोड रद्द करने की मांग की है। इस संबंध में इफटू के पंजाब प्रधान कुलविंदर सिंह वड़ैच और नेता अवतार सिंह तारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ऐलान किया था कि यह कोड एक जुलाई से लागू किए जाने हैं, इस लिए मजदूर वर्ग में कोड को लेकर बेचैनी व गुस्सा है। सरकार द्वारा किरत कानूनों को लागू करने के लिए अमल करने वाली सूची मशीनरी को खत्म कर दिया गया है। मजदूर यह जानते हैं कि 4 दिन के हफ्ते के दावे सिर्फ कागजों में ही रह जाएगे।
अधिकतर कर्मचारी आम व ठेका आधारित हैं और उनके लिए कम से कम उजरत के बिना हफ्ते में 6 दिन 12 घंटे काम करने वाला दिन पहले ही एक हकीकत है। यह कोड नौकरी, अधिकारों व नौकरी की रक्षा के लिए इकट्ठ करने और संघर्ष करने के अधिकार पर गंभीर हमला है। नौकरी की सुरक्षा व कर्मचारियों व कर्मियों की निराशाजनक उजरत को बांटने की भावना जिस को कोड दर्शाते हैं, केंद्र सरकार की हर योजना में भी शामिल हो रहा है।
जिसकी उदाहरण हाल ही में लॉंच की गई अग्निपथ योजना है। इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि मौजूदा किरत कानून भले ही विभिन्न सरकारों के बुरे संघर्ष कर्ण व पूंजीवादी पक्षीय रवैये के कारण लागू नहीं हुए। मगर उन्होंने मजदूरों के जीते हुए अधिकारों को कानूनी ढांचा प्रधान किया है।
नेताओं ने कहा कि इफटू पंजाब की ओर से एक वफद मुख्यमंत्री पंजाब के पंजाब के भीतर चार किरत कोड लागू न करने की मांग करेगा। अगर केंद्र सरकार 1 जुलाई तक डारों कोड लागू करने के ऐलान को वापिस नहीं लेती तो इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
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