हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को मनाया जा रहा है। पं. दिनेश मिश्रा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है। क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है। माघ शुक्ल पंचमी उदया तिथि के अनुसार इस साल बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ समय सुबह 6:12 पर शुरू होगी व शाम के 8:15 बजे तक रहेगी।
बसंत पंचमी पर चार योग बन रहे हैं जो बहुत ही शुभ और फलदायी हैं। बसंत पंचमी पर कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। जैसे मुंडन संस्कार, छोटे बच्चों के विद्यारंभ और अन्य शुभ काम इस दिन बिना मुहूर्त देखे कर सकते हैं। देवी सरस्वती की नई तस्वीर या प्रतिमा घर लेकर आएं और स्थापित करें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बच्चों का पढ़ाई में मन लगा रहता है। साथ ही इससे कई प्रकार के दोष भी दूर हो जाते हैं।
इस विशेष दिन पर संगीत अथवा कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों को छोटा वाद्य यंत्र जैसे बांसुरी, मंजीरा, तुंबी इत्यादि को घर लेकर आना चाहिए और सर्वप्रथम इन्हें मां सरस्वती के चरणों में अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से संगीत क्षेत्र से जुड़े लोगों को सभी कार्यों में सफलता मिलती है और रचनात्मक क्रियाओं में पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है। जो लोग संगीत सीखना चाहते हैं उनके लिए इस दिन से शुरुआत करना सबसे फलदायी माना जाता है।
बसंत पंचमी पर घर में मोरपंखी पौधा अवश्य लाएं और इसे पूर्व दिशा में रख दें। पौधे को मुख्य द्वार पर भी लगाया जा सकता है। मोरपंखी पौधा मां सरस्वती का प्रिय है। इसलिए माना जाता है कि इस पौधे को घर पर लगाने से मां सरस्वती का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
मां सरस्वती को पीले वस्त्र अर्पित करें
बसंत पंचमी वाले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
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