बारिश मुस्कुराहट लाती है पर सतलुज से सटे 700 गांवों में बारिश का जिक्र होते ही लोगों के जेहन में 2019 में आई बाढ़ का मंजर कौंध जाता है। पिछली बार 300 गांव डूबे थे और 200 गांव प्रभावित हुए थे। बाढ़ से 25000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे। 6 लोगों की जान चली गई थी। 1.25 लाख को एनडीआरएफ, समाज सेवी संस्थाएं और स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू किया था।
पिछली बार पहाड़ों पर हुई मूसलाधार बारिश के कारण सतलुज में पानी अचानक बढ़ा था। भाखड़ा डैम से भी कई लाख क्यूसिक पानी छोड़ा गया और हिमाचल से पंजाब आने वाली सोन नदी का पानी भी सीधे सतलुज में आया था। इस कारण पंजाब के कई गांवों में भयानक बाढ़ आई थी। इस बार भी इसलिए खतरा ज्यादा है कि पहाड़ों पर बारिश जारी है और डैम से भी पानी छोड़ा जाने लगा है।
सतलुज का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। इसलिए लोग ज्यादा डरे हैं। वहीं, जून के अंत तक पंजाब में मानसून आ जाएगा। ऐसे में भास्कर टीम ने जालंधर, रोपड़ और फिरोजपुर जिले के सतलुज से सटे गांवों का दौरा किया। जाना कि सरकार ने इनको बचाने के लिए क्या इंतजाम किए हैं। सामने आया कि इन गांवों का हाल पहले जैसा ही है। यहां के लोगों के चेहरे पर कोरोना का कम बाढ़ का भय ज्यादा था। लोग बोले, मानसून सिर पर है और सरकार का कोई प्रबंध नहीं। पिछले साल वादा किया गया था कि धुस्सी बांध मजबूत किए जाएंगे। लेकिन ऐसा न हुआ। कई जगह लोगों ने अपने स्तर पर तैयारियां कर ली हैं।
ये हुआ था नुकसान
1700 करोड़ रुपए का कुल नुकसान हुआ था सूबे में बाढ़ से। जिसमें आम जनता और सरकार दोनों की हानि शामिल है। 300 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए थे बाढ़ से। 25000 लोग बेघर हुए थे। 2000 ने घर की छतों पर समय गुजारा था। 06 की मौत बाढ़ में छत गिरने व करंट से हुई। 12 से ज्यादा इस रूट की ट्रेनें रद्द की गई थी।
अभी भी ये कमियां
- धुस्सी बांध पर तमाम गांवों का ट्रैफिक चलता है। आज तक सरकार ने कंक्रीट से पक्का नहीं किया है। कई जगह धंस गया है। - धुस्सी बांध को बचाने के लिए बने बोल्डर के स्टड की मेंटेनेंस के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। - कई जगह पर बांध के किनारे जमीनों के अंदर ट्रैक्चर ले जाने के लिए बांध खोद रास्ते बना रखे हैं। - अवैध खनन से धुस्सी बांध के नजदीक रेत के गहरे खड्डे हैं। इनमें पानी भरने से धुस्सी बांध की तरफ बरसात के पानी का दबाव बढ़ता है। जो बांध को तोड़ता है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.