दिग्गज अकाली नेता पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया की जमानत पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले दोनों पक्षों के वकीलों के बीच बहस हुई। मजीठिया के वकीलों ने कहा कि सियासी रंजिश के तहत उन्हें इस केस में फंसाया गया है। बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व रखने की बात कही।
मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस दर्ज है। फिलहाल वह पटियाला सेंट्रल जेल में बंद हैं। हाईकोर्ट की डबल बेंच इसकी सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान उनकी विधायक पत्नी गनीव कौर मजीठिया भी हाईकोर्ट में मौजूद हैं। पहले 2 जज मजीठिया की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं। मजीठिया 24 फरवरी से जेल में बंद हैं।
तीसरी बेंच कर रही सुनवाई
बिक्रम मजीठिया ने इसी साल 24 फरवरी को सरेंडर किया था। कुछ माह पहले वह ड्रग्स केस खारिज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने पहले जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस संदीप मौदगिल की बेंच बनाई थी। इनमें से जस्टिस मसीह ने सुनवाई से इनकार कर दिया।
इसके बाद जस्टिस राव और जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच को केस भेजा गया। हालांकि जस्टिस अनूप चितकारा ने सुनवाई से इनकार कर दिया। अब जस्टिस रामचंद्र राव और जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर की बेंच इसकी सुनवाई कर रही है।
मजीठिया पर गंभीर आरोप
ड्रग्स केस में मजीठिया पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया कि कनाडा के रहने वाले ड्रग तस्कर सतप्रीत सत्ता मजीठिया की अमृतसर और चंडीगढ़ स्थित सरकारी कोठी में भी ठहरते रहे। यहां तक कि मजीठिया ने उसे गाड़ी और गनमैन दे रखा था। मजीठिया चुनाव के लिए नशा तस्करों से फंड लेते रहे। इसके अलावा दबाव डालकर नशा दिलवाते रहे। नशा तस्करों के बीच समझौते करवाने का भी उन्हें आरोपी बनाया गया है। हालांकि अकाली दल इसे राजनीतिक बदला लेने की कार्रवाई करार देता रहा।
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