पंजाब में नए एडवोकेट जनरल की नियुक्ति पर आम आदमी पार्टी सरकार के CM भगवंत मान ने विरोध दरकिनार कर दिया है। गुरूवार को उन्होंने चंडीगढ़ में कहा कि विनोद घई ही अगले एडवोकेट जनरल होंगे। वह काबिल वकील हैं। वह पंजाब सरकार का पक्ष धड़ल्ले से कोर्ट में रखेंगे। उनकी टीम भी कोई सिफारिशी नहीं होगी।
घई की नियुक्ति का राजनीतिक और सिख संगठन विरोध कर रहे थे। उनका तर्क था कि एडवोकेट घई बेअदबी केस में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के वकील रह चुके हैं। इसलिए उन्हें AG नहीं लगाया जाना चाहिए। बहबल कलां इंसाफ मोर्चा उनकी नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं।
इसी विवाद के चलते एपीएस देओल हटाए गए
पंजाब में CM चरणजीत चन्नी की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार ने सीनियर एडवोकेट एपीएस देओल को एडवोकेट जनरल नियुक्त किया था। वह बेअदबी से जुड़े गोलीकांड केस में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी समेत आरोपी पुलिस अफसरों के वकील रहे। उन्होंने सैनी को ब्लैंकेट बेल दिलाई। उनकी नियुक्ति का भी विरोध हुआ। जिसके बाद चन्नी सरकार को उन्हें हटाकर एडवोकेट डीएस पटवालिया को AG लगाना पड़ा था। खुद आम आदमी पार्टी उस वक्त उनकी नियुक्ति का विरोध कर रही थी।
एडवोकेट सिद्धू के इस्तीफे के बाद खाली हुई कुर्सी
आप सरकार ने कुर्सी संभालते ही सीनियर एडवोकेट अनमोल रतन सिद्धू को AG लगाया था। करीब 4 महीने में उन्होंने सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में लॉरेंस को पंजाब लाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि अचानक उन्होंने 19 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने वजह व्यक्तिगत बताई लेकिन चर्चाएं लॉ अफसरों की नियुक्ति में सुनवाई न होने, बंदी सिख प्रो. भुल्लर की रिहाई के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराने जैसी कई हो रही हैं।
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