पंजाब के चीफ सेक्रेटरी (CS) वीके जंजुआ को पूरा नाम ही पसंद है। उन्होंने आदेश दिया है कि उनका पूरा नाम विजय कुमार जंजुआ ही लिखा जाए। इस संबंध में सभी सरकारी विभागों को पत्र भी लिखा है। जंजुआ को हाल ही में पंजाब का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है। उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार में नियुक्त किए अनिरुद्ध तिवारी की जगह ली है। हालांकि उनके पूरे नाम लिखे जाने के आदेश के पीछे का माजरा क्या है?, इसको लेकर अफसरों में ही कानाफूसी हो रही है।
हाईकोर्ट में चैलेंज हो चुकी प्रमोशन और नियुक्ति
वीके जंजुआ की प्रमोशन और नियुक्ति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। पिटीशन दायर करने वाले टीआर मिश्रा का कहना है कि जंजुआ के खिलाफ करप्शन केस पेंडिंग है। वीके जंजुआ को डायरेक्टर इंडस्ट्रीज रहते हुए 9 नवंबर 2009 को कथित तौर पर 2 लाख रिश्वत लेते हुए विजिलेंस ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। यह रकम लुधियाना के एक कारोबारी से लेने का दावा किया गया था। उसी दिन जंजुआ के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें पद से हटा दिया गया।
अकाली सरकार के वक्त केस, कांग्रेस में क्लीन चिट
वीके जंजुआ के खिलाफ जब केस दर्ज हुआ तो उस वक्त राज्य में अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार थी। उस वक्त यह भी चर्चा रही कि सरकार के दबाव में न झुकने की वजह से उन्हें फंसाया गया। हालांकि 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने पर उन्हें क्लीन चिट मिल गई। IAS अफसर होने की वजह से उन पर केस चलाने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं ली गई थी। विजिलेंस ने इस केस की पैरवी करने से इनकार कर दिया।
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