पटियाला हिंसा की जड़ असल में एक अफवाह है। जो कुछ लोगों ने फैलाई। उन्होंने खालिस्तान विरोधी मार्च और सिखों के प्रदर्शन के बारे में झूठ बोला। जिसका नतीजा यह हुआ कि सिख संगठन और शिवसेना वाले आमने-सामने हो गए। मामला विरोध से बढ़कर पथराव, तलवारें मारने से लेकर हवाई फायरिंग तक बढ़ गया। पटियाला से हटाए गए IG राकेश अग्रवाल ने भी इस बात की पुष्टि की। पुलिस ने अफवाह फैलाने वाले की भी पहचान कर ली है।
पुलिस ने दोनों को रोक लिया था, फिर ऐसे बिगड़ी बात
पटियाला में शिवसेना के खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च के बारे में पुलिस को पता था। इसके विरोध में सिख संगठनों के जमा होने की भी भनक लग गई थी। पुलिस ने दोनों से बात की और उन्हें किसी तरह के प्रदर्शन से रोक लिया। इसी बीच यह शरारत हुई। सिख संगठनों को कहा गया कि बाहर शिवसेना मार्च निकाल रही है। हालांकि उस वक्त शिवसेना वाले पुलिस ने दफ्तर में ही रोके हुए थे। इसके बाद सिख संगठन इसे देखने बाहर निकले तो उनकी वीडियो रिकॉर्ड कर शिवसेना वालों तक इसे पहुंचा दिया गया। इससे शिवसेना को लगा कि पुलिस ने हमें रोक लिया और सिख संगठनों को प्रदर्शन करने की छूट दे दी गई है। जिसके बाद वह भी बाहर आ गए।
पुलिस ने अंत में भरोसा खो दिया
पुलिस ने सिख कट्टरपंथियों और शिवसेना को प्रदर्शन से रोक दिया। हालांकि जब एक-दूसरे के बीच अफवाह फैली कि विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं तो पुलिस उन्हें भरोसा नहीं दिला सकी। जिसकी वजह से दोनों पक्ष बाहर आ गए। पुलिस को इसकी उम्मीद नहीं थी, इसी वजह से इस बारे में तैयारियां नहीं की गई। जिसकी वजह से हालात एकदम से बेकाबू हो गए। पटियाला से हटाए IG राकेश अग्रवाल ने कहा कि यह हिंसा कुछ शरारती लोगों की वजह से हुई है। उन्होंने अफवाह फैलाई और उसकी वजह से हालात बिगड़े। पुलिस ने उन लोगों की पहचान कर ली है। जल्द ही उनके खिलाफ भी पुलिस कड़ा एक्शन लेगी।
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